Monday 18 December 2017

उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure)का प्राकर्तिक ईलाज


किसी भी मनुष्य को जीवित रहने के लिए उसके पूरे शरीर में रक्त संचारण होना बहुत ही आवश्यक है। शरीर में रक्त संचारण का कार्य धमनियों के द्वारा होता है जिसके फलस्वरूप शरीर के प्रत्येक भाग का पोषण होता है। धमनियों से कार्य कराने का कार्य हृदय के द्वारा होता है। हृदय एक पम्प की तरह खुलता और बंद होता रहता है और रक्त (खून) को रक्तवाहिनी, धमनियों तथा नलिकाओं में आगे बढ़ाता रहता है। हृदय के द्वारा रक्त को धमनियों में आगे बढ़ाने की क्रिया को रक्तचाप, खून का दबाव या ब्लडप्रेशर कहते हैं। यह क्रिया अगर रुक जाये तो मनुष्य का हृदय कार्य करना बंद कर देता है और उसकी मृत्यु हो जाती है।
          जब तक शरीर की धमनियों और रक्त-नलिकाओं की दशा स्वाभाविक रहती है अर्थात जब तक वे लचीली रहती हैं तब तक उनके छिद्र खुले रहते हैं तब तक रक्त (खून) को आगे बढ़ाने के लिए हृदय को ज्यादा दबाव डालने की आवश्यकता नहीं रहती है और रक्त अपने स्वाभाविक रूप से हृदय से निकलकर धमनियों और रक्त नलिकाओं द्वारा शरीर के प्रत्येक भाग में पहुंचता रहता है और इससे पूरे शरीर को पोषक तत्व प्राप्त होते रहते हैं।
          लेकिन जब धमनियों और रक्त-नलिकाओं के छिद्र संकरे हो जाते हैं तो हृदय को अधिक दबाव डालकर उन पतले छिद्र वाली तंग रक्त नलिकाओं से रक्त को आगे बढ़ाने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है जिसके कारण वे नसें कमजोर हो जाती हैं और उच्च रक्तचाप या हाई ब्लडप्रेशर का रोग हो जाता है!
उच्च रक्तचाप रोग होने के लक्षण:---------- -------
          जब किसी व्यक्ति को उच्च रक्तचाप का रोग हो जाता है तो चलते समय उस व्यक्ति के सिर व गर्दन के पीछे दर्द होने लगता है। रोगी में बेचैनी, मानसिक असंतुलन, सिर में दर्द, क्रोध, घबराहट, छाती में दर्द, चिड़चिड़ापन, किसी बात पर जल्दी उत्तेजित हो जाना, चेहरे पर तनाव होना आदि समस्याएं हो जाती हैं। यह रोग हो जाने के कारण रोगी का पाचनतन्त्र खराब हो जाता है जिसके कारण उसके द्वारा खाया हुआ खाना ठीक से पचता नहीं है। इसके अलावा रोगी की आंखे लाल हो जाती हैं, हृदय की धड़कन बढ़ जाती है, रोगी को अनिद्रा रोग हो जाता है तथा उसकी नाक से खून निकलने लगता है। रोगी व्यक्ति का रक्तचाप सामान्य से अधिक हो जाता है
उच्च रक्तचाप रोग होने का कारण:--------------------
खून में कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ जाने के कारण रक्तचाप सामान्य से अधिक हो जाता है।
जब अंत:स्रावी ग्रन्थियों की क्रिया ठीक से नहीं होती है तो रक्त का संचारण शरीर में सामान्य से अधिक हो जाता है जिसके कारण व्यक्ति को उच्च रक्तचाप का रोग हो जाता है।
कब्ज, अपच, मानसिक रोग, मधुमेह, पुराना आंव तथा मूत्र से सम्बन्धित रोग और गुर्दे का रोग हो जाने के कारण भी उच्च रक्तचाप का रोग हो सकता है।
चिंता, क्रोध, भय, असंयम तथा अपर्याप्त व्यायाम के कारण भी यह रोग हो सकता है।
धूम्रपान करने या नशीले पदार्थों का अधिक सेवन करने के कारण भी उच्च रक्तचाप का रोग हो सकता है।
मसाले, तेल, खटाई, तली-भुनी चीजें प्रोटीन, रबडी, मलाई, दाल, चाय, कॉफी आदि का सेवन करने के कारण भी उच्च रक्तचाप का रोग हो सकता है।
जल्दी-जल्दी खाना खाने तथा जरूरत से अधिक खाना खाने के कारण भी यह रोग हो सकता है।
गर्भावस्था में टोक्सिमिया रोग हो जाने के कारण भी रक्तचाप बढ़ जाता है।
उच्च रक्तचाप रोग हो जाने पर प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:-----------------------------
उच्च रक्तचाप रोग का उपचार करने के लिए सबसे पहले इस रोग के होने के कारणों को दूर करना चाहिए। फिर इसके बाद इस रोग का उपचार प्राकृतिक चिकित्सा से करना चाहिए।
उच्च रक्तचाप के रोग का उपचार करने के लिए रोगी व्यक्ति को कुछ दिनों तक फलों का रस (गाजर का रस, केले के तने का रस, चुकन्दर का रस, बथुए का रस, धनिया-पालक का रस, खीरे का रस, नारियल पानी, नींबू का रस पानी में डालकर, घिये का रस तथा गेहूं के ज्वारे का रस) पीना चाहिए। इसके अलावा कुछ समय तक बिना पका हुआ भोजन करने से भी यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
इस रोग से पीड़ित रोगी को चोकर समेत आटे की रोटी तथा सब्जियां खानी चाहिए।
तुलसी के पत्ते को कालीमिर्च के साथ प्रतिदिन खाने से उच्च रक्तचाप सामान्य हो जाता है।
प्रतिदिन सुबह के समय में खाली पेट तुलसी के पत्ते को शहद के साथ सेवन करने से भी उच्च रक्तचाप सामान्य हो जाता है।
प्रतिदिन सुबह के समय नींबू का रस तथा 1 चम्मच शहद पानी में मिलाकर पीना बहुत ही लाभकारी होता है जिसके फलस्वरूप उच्च रक्तचाप सामान्य हो जाता है।
रात को सोते समय तांबे के बर्तन में पानी रख दें। सुबह के समय में इस पानी को पीने से रक्तचाप सामान्य हो जाता है।
ताजे आंवले का रस 2 चम्मच प्रतिदिन सुबह तथा शाम को पीने से यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
3 भाग गाजर के रस में 1 भाग पालक का रस मिलाकर प्रतिदिन पीने से उच्च रक्तचाप सामान्य हो जाता है।
5-6 बूंद लहसुन का रस पानी में मिलाकर दिन में 4 बार पीने से उच्च रक्तचाप सामान्य हो जाता है।
मुनक्का या शहद के साथ कच्चा लहसुन प्रतिदिन खाने से उच्च रक्तचाप सामान्य हो जाता है।
इस रोग से पीड़ित रोगी को घी, नमक, मिर्च-मसाला, अचार तथा मिठाई नहीं खाने चाहिए।
इस रोग से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन फलों का रस पीकर 1 सप्ताह तक उपवास रखने से उच्च रक्तचाप सामान्य हो जाता है।
रोगी व्यक्ति को उन चीजों का अधिक सेवन करना चाहिए जिनमें विटामिन `सी´ तथा पोटाशियम की मात्रा अधिक हो।
इस रोग से पीड़ित रोगी को सुबह तथा शाम को खुली हवा में टहलना चाहिए तथा 50 से 100 बार गहरी सांस लेनी चाहिए।
उच्च रक्तचाप के रोग को ठीक करने के लिए रोगी व्यक्ति को प्रतिदिन ठंडे पानी से एनिमा क्रिया करके अपने पेट को साफ करना चाहिए तथा पेट पर मिट्टी की पट्टी करनी चाहिए। फिर गर्म ठंडा सेंक करना चाहिए। इसके बाद गर्म पादस्नान, रीढ़स्नान, कटिस्नान, मेहनस्नान तथा सप्ताह में 1 दिन गीली चादर लपेट स्नान करना चाहिए और स्नान से पहले और बाद में शरीर को रगड़ना चाहिए। इस प्रकार से उपचार करने से यह रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
उच्च रक्तचाप को ठीक करने के लिए कई प्रकार के आसन हैं जिनको करने से यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है जैसे- गोमुखासन, शवासन, अर्धमत्स्येन्द्रासन, वज्रासन, पदमासन, सिद्धासन, ताडासन, नाड़ीशोधन, शीतकारी तथा शीतली प्राणायाम बिना कुम्भक आदि।
उच्च रक्तचाप को सामान्य करने के लिए कुछ योगक्रियाएं भी हैं जिन्हें करने से यह रोग ठीक हो सकता है जैसे- ज्ञानमुद्रा, योगनिद्रा।
जलनेति, कुंजल तथा शवासन क्रिया करने से भी उच्च रक्तचाप सामान्य हो जाता है।
रीढ़ की हड्डी तथा सिर पर 5-10 मिनट तक मालिश करने से उच्च रक्तचाप सामान्य हो जाता है।
सुबह के समय आधा लीटर सूर्यतप्त हरी बोतल का पानी थोड़ी-थोड़ी मात्रा में करके पीने से यह रोग कुछ ही समय में ठीक हो जाता है।
सूर्य तप्त नीले तेल से शरीर की मालिश करने से भी यह रोग ठीक हो जाता है। रोगी के हृदय पर अधिक मालिश करनी चाहिए तथा रोगी व्यक्ति के मानसिक तनावों को दूर करने का प्रयास करना चाहिए।
बेलपत्र का काढ़ा बनाकर दिन में 3 बार पीने से उच्च रक्तचाप सामान्य हो जाता है।
प्रतिदिन 2 संतरे छीलकर खाने तथा फलों में अमरूद, नाशपाती, सेब, आम, जामुन, अनन्नास, खरबूजा, खजूर तथा रसभरी खाने से उच्च रक्तचाप सामान्य हो जाता है।
गाय या बकरी के दूध जिसमें मलाई न हो, को पीने से उच्च रक्तचाप सामान्य हो जाता है।
रोगी व्यक्ति के पेड़ू पर गीली मिट्टी की पट्टी या तौलिये को पानी में भिगोकर फिर निचोड़कर 10 मिनट तक रखने से उच्च रक्तचाप सामान्य हो जाता है।
इस रोग से पीड़ित रोगी को सप्ताह में 1 बार एनिमा क्रिया करके अपने पेट को साफ करना चाहिए।
इस रोग से पीड़ित रोगी के शरीर पर दिन में एक बार सूखी मालिश करें और इसके बाद गीले तौलिए से शरीर को पोंछें। इससे रोगी का रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
इस रोग से पीड़ित रोगी को कम से कम 7-8 घण्टे की नींद लेनी चाहिए।
उच्च रक्तचाप से पीड़ित रोगी को रूद्राक्ष अच्छी तरह से धोकर रात को 1 गिलास पीने के पानी में डालकर ढक देना चाहिए। फिर सुबह के समय में रूद्राक्ष को निकालकर इस पानी को पी लेना चाहिए। इसके बाद 1 गिलास पानी में रूद्राक्ष डालें व शाम को वह पानी पी लें। इस प्रकार प्रतिदिन यह पानी दिन में 2 बार पीने से उच्च रक्तचाप सामान्य हो जाता है।

स्वास्थ्य कथा सारांश



१. रोगी के रोग की चिकित्सा करने वाले निकृष्ट , रोग के कारणों की चिकित्सा करने वाले औसत और रोग-मुक्त रखने वाले श्रेष्ठ चिकित्सक होते हैं ।
                     ..... अष्ट्रांग ह्रदयम्
२. लकवा - सोडियम की कमी के कारण होता है ।
३. हाई वी पी में -  स्नान व सोने से पूर्व एक गिलास जल का सेवन करें तथा स्नान करते समय थोड़ा सा नमक पानी मे डालकर स्नान करे ।

४. लो वी पी - सेंधा नमक डालकर पानी पीयें ।
५. कूबड़ निकलना- फास्फोरस की कमी ।
६. कफ - फास्फोरस की कमी से कफ बिगड़ता है , फास्फोरस की पूर्ति हेतु आर्सेनिक की उपस्थिति जरुरी है । गुड व शहद खाएं
७. दमा, अस्थमा - सल्फर की कमी ।
८. सिजेरियन आपरेशन - आयरन , कैल्शियम की कमी ।
९. सभी क्षारीय वस्तुएं दिन डूबने के बाद खायें ।
१०. अम्लीय वस्तुएं व फल दिन डूबने से पहले खायें ।
११. जम्भाई - शरीर में आक्सीजन की कमी ।
१२. जुकाम - जो प्रातः काल जूस पीते हैं वो उस में काला नमक व अदरक डालकर पियें ।
१३. ताम्बे का पानी - प्रातः खड़े होकर नंगे पाँव पानी ना पियें ।
१४.  किडनी - भूलकर भी खड़े होकर गिलास का पानी ना पिये ।
१५. गिलास एक रेखीय होता है तथा इसका सर्फेसटेन्स अधिक होता है । गिलास अंग्रेजो ( पुर्तगाल) की सभ्यता से आयी है अतः लोटे का पानी पियें,  लोटे का कम  सर्फेसटेन्स होता है ।

१६. अस्थमा , मधुमेह , कैसर से गहरे रंग की वनस्पतियाँ बचाती हैं ।

१७. वास्तु के अनुसार जिस घर में जितना खुला स्थान होगा उस घर के लोगों का दिमाग व हृदय भी उतना ही खुला होगा ।
१८. परम्परायें वहीँ विकसित होगीं जहाँ जलवायु के अनुसार व्यवस्थायें विकसित होगीं ।
१९. पथरी - अर्जुन की छाल से पथरी की समस्यायें ना के बराबर है ।
२०. RO का पानी कभी ना पियें यह गुणवत्ता को स्थिर नहीं रखता । कुएँ का पानी पियें । बारिस का पानी सबसे अच्छा , पानी की सफाई के लिए सहिजन की फली सबसे बेहतर है ।
२१. सोकर उठते समय हमेशा दायीं करवट से उठें या जिधर का स्वर चल रहा हो उधर करवट लेकर उठें ।
२२. पेट के बल सोने से हर्निया, प्रोस्टेट, एपेंडिक्स की समस्या आती है ।
२३.  भोजन के लिए पूर्व दिशा , पढाई के लिए उत्तर दिशा बेहतर है ।
२४.  HDL बढ़ने से मोटापा कम होगा LDL व VLDL कम होगा ।
२५. गैस की समस्या होने पर भोजन में अजवाइन मिलाना शुरू कर दें ।
२६.  चीनी के अन्दर सल्फर होता जो कि पटाखों में प्रयोग होता है , यह शरीर में जाने के बाद बाहर नहीं निकलता है। चीनी खाने से पित्त बढ़ता है ।
२७.  शुक्रोज हजम नहीं होता है फ्रेक्टोज हजम होता है और भगवान् की हर मीठी चीज में फ्रेक्टोज है ।
२८. वात के असर में नींद कम आती है ।
२९.  कफ के प्रभाव में व्यक्ति प्रेम अधिक करता है ।
३०. कफ के असर में पढाई कम होती है ।
३१. पित्त के असर में पढाई अधिक होती है ।
३२. योग-प्राणायाम-  कफ प्रवृति वालों को नहीं करना चाहिए , वात प्रवृति वालों को थोडा,  पित्त प्रवृति वालों को ज्यादा करना चाहिए ।
३३.  आँखों के रोग - कैट्रेक्टस, मोतियाविन्द, ग्लूकोमा , आँखों का लाल होना आदि ज्यादातर रोग कफ के कारण होता है ।
३४. शाम को वात-नाशक चीजें खानी चाहिए ।
३५. पित्त प्रवृति वालों को प्रातः 4 बजे जाग जाना चाहिए ।
३६. सोते समय रक्त दवाव सामान्य या सामान्य से कम होता है ।
३७. व्यायाम - वात रोगियों के लिए मालिश के बाद व्यायाम , पित्त वालों को व्यायाम के बाद मालिश करनी चाहिए । कफ के लोगों को स्नान के बाद मालिश करनी चाहिए ।
३८. भारत की जलवायु वात प्रकृति की है , दौड़ की बजाय सूर्य नमस्कार करना चाहिए ।
३९. जो माताएं घरेलू कार्य करती हैं उनके लिए व्यायाम जरुरी नहीं ।
४०. निद्रा से पित्त शांत होता है , मालिश से वायु शांति होती है , उल्टी से कफ शांत होता है तथा उपवास ( लंघन ) से बुखार शांत होता है ।
४१.  भारी वस्तुयें शरीर का रक्तदाब बढाती है , क्योंकि उनका गुरुत्व अधिक होता है ।
४२. दुनियां के महान वैज्ञानिक का स्कूली शिक्षा का सफ़र अच्छा नहीं रहा, चाहे वह 8 वीं फेल न्यूटन हों या 9 वीं फेल आइस्टीन हों , 43. माँस खाने वालों के शरीर से अम्ल-स्राव करने वाली ग्रंथियाँ प्रभावित होती हैं ।
४४. तेल हमेशा गाढ़ा खाना चाहिएं सिर्फ लकडी वाली घाणी का , दूध हमेशा पतला पीना चाहिए ।
४५. छिलके वाली दाल-सब्जियों से कोलेस्ट्रोल हमेशा घटता है ।
४६. कोलेस्ट्रोल की बढ़ी हुई स्थिति में इन्सुलिन खून में नहीं जा पाता है । ब्लड शुगर का सम्बन्ध ग्लूकोस के साथ नहीं अपितु कोलेस्ट्रोल के साथ है ।
४७. मिर्गी दौरे में अमोनिया या चूने की गंध सूँघानी चाहिए ।
४८. सिरदर्द में एक चुटकी नौसादर व अदरक का रस रोगी को सुंघायें ।
४९. भोजन के पहले मीठा खाने से बाद में खट्टा खाने से शुगर नहीं होता है ।
५०. भोजन के आधे घंटे पहले सलाद खाएं उसके बाद भोजन करें ।
५१. अवसाद में आयरन , कैल्शियम , फास्फोरस की कमी हो जाती है । फास्फोरस गुड और अमरुद में अधिक है ।
५२.  पीले केले में आयरन कम और कैल्शियम अधिक होता है । हरे केले में कैल्शियम थोडा कम लेकिन फास्फोरस ज्यादा होता है तथा लाल केले में कैल्शियम कम आयरन ज्यादा होता है । हर हरी चीज में भरपूर फास्फोरस होती है, वही हरी चीज पकने के बाद पीली हो जाती है जिसमे कैल्शियम अधिक होता है ।
५३.  छोटे केले में बड़े केले से ज्यादा कैल्शियम होता है ।
५४. रसौली की गलाने वाली सारी दवाएँ चूने से बनती हैं ।
५५.  हेपेटाइट्स A से E तक के लिए चूना बेहतर है ।
५६. एंटी टिटनेस के लिए हाईपेरियम 200 की दो-दो बूंद 10-10 मिनट पर तीन बार दे ।
५७. ऐसी चोट जिसमे खून जम गया हो उसके लिए नैट्रमसल्फ दो-दो बूंद 10-10 मिनट पर तीन बार दें । बच्चो को एक बूंद पानी में डालकर दें ।
५८. मोटे लोगों में कैल्शियम की कमी होती है अतः त्रिफला दें । त्रिकूट ( सोंठ+कालीमिर्च+ मघा पीपली ) भी दे सकते हैं ।
५९. अस्थमा में नारियल दें । नारियल फल होते हुए भी क्षारीय है ।दालचीनी + गुड + नारियल दें ।
६०. चूना बालों को मजबूत करता है तथा आँखों की रोशनी बढाता है ।
६१.  दूध का सर्फेसटेंसेज कम होने से त्वचा का कचरा बाहर निकाल देता है ।
६२.  गाय की घी सबसे अधिक पित्तवर्धक व कफ व वायुनाशक है ।
६३.  जिस भोजन में सूर्य का प्रकाश व हवा का स्पर्श ना हो उसे नहीं खाना चाहिए । जैसे - प्रेशर कूकर
६४.  गौ-मूत्र अर्क आँखों में ना डालें ।
६५.  गाय के दूध में घी मिलाकर देने से कफ की संभावना कम होती है लेकिन चीनी मिलाकर देने से कफ बढ़ता है ।
६६.  मासिक के दौरान वायु बढ़ जाता है , ३-४ दिन स्त्रियों को उल्टा सोना चाहिए इससे  गर्भाशय फैलने का खतरा नहीं रहता है । दर्द की स्थति में गर्म पानी में देशी घी दो चम्मच डालकर पियें ।

६७. रात में आलू खाने से वजन बढ़ता है ।

६८. भोजन के बाद बज्रासन में बैठने से वात नियंत्रित होता है ।
६९. भोजन के बाद कंघी करें कंघी करते समय आपके बालों में कंघी के दांत चुभने चाहिए । बाल जल्द सफ़ेद नहीं होगा ।
७०. अजवाईन अपान वायु को बढ़ा देता है जिससे पेट की समस्यायें कम होती है ।
७१. अगर पेट में मल बंध गया है तो अदरक का रस या सोंठ का प्रयोग करें ।

७२. कब्ज होने की अवस्था में सुबह पानी पीकर कुछ देर एडियों के बल चलना चाहिए ।

७३. रास्ता चलने, श्रम कार्य के बाद थकने पर या धातु गर्म होने पर दायीं करवट लेटना चाहिए ।
७४. जो दिन मे दायीं करवट लेता है तथा रात्रि में बायीं करवट लेता है उसे थकान व शारीरिक पीड़ा कम होती है ।

७५.  बिना कैल्शियम की उपस्थिति के कोई भी विटामिन व पोषक तत्व पूर्ण कार्य नहीं करते है ।

७६. स्वस्थ्य व्यक्ति सिर्फ 5 मिनट शौच में लगाता है ।
७७. भोजन करते समय डकार आपके भोजन को पूर्ण और हाजमे को संतुष्टि का संकेत है ।
७८. सुबह के नाश्ते में फल , दोपहर को दही व रात्रि को दूध का सेवन करना चाहिए ।
७९. रात्रि को कभी भी अधिक प्रोटीन वाली वस्तुयें नहीं खानी चाहिए । जैसे - दाल , पनीर , राजमा , लोबिया आदि ।

८०.  शौच और भोजन के समय मुंह बंद रखें , भोजन के समय टी वी ना देखें ।
८१. मासिक चक्र के दौरान स्त्री को ठंडे पानी से स्नान , व आग से दूर रहना चाहिए ।
८२. जो बीमारी जितनी देर से आती है , वह उतनी देर से जाती भी है ।
८३. जो बीमारी अंदर से आती है , उसका समाधान भी अंदर से ही होना चाहिए ।
८४. एलोपैथी ने एक ही चीज दी है , दर्द से राहत । आज एलोपैथी की दवाओं के कारण ही लोगों की किडनी , लीवर , आतें , हृदय ख़राब हो रहे हैं । एलोपैथी एक बिमारी खत्म करती है तो दस बिमारी देकर भी जाती है ।
८५. खाने की बस्तु में कभी भी ऊपर से नमक नहीं डालना चाहिए , ब्लड-प्रेशर बढ़ता है ।
८६ .  रंगों द्वारा चिकित्सा करने के लिए इंद्रधनुष को समझ लें , पहले जामुनी , फिर नीला ..... अंत में लाल रंग ।
८७ . छोटे बच्चों को सबसे अधिक सोना चाहिए , क्योंकि उनमें वह कफ प्रवृति होती है , स्त्री को भी पुरुष से अधिक विश्राम करना चाहिए ।
८८. जो सूर्य निकलने के बाद उठते हैं , उन्हें पेट की भयंकर बीमारियां होती है , क्योंकि बड़ी आँत मल के चूसने लगता है ।
८९.  बिना शरीर की गंदगी निकाले स्वास्थ्य शरीर की कल्पना निरर्थक है , मल-मूत्र से 5% , कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ने से 22 %, तथा पसीना निकलने लगभग 70 % शरीर से विजातीय तत्व निकलते हैं ।
९०. चिंता , क्रोध , ईष्या करने से गलत हार्मोन्स का निर्माण होता है जिससे कब्ज , बबासीर , अजीर्ण , अपच , रक्तचाप , थायरायड की समस्या उतपन्न होती है ।
९१.  गर्मियों में बेल , गुलकंद , तरबूजा , खरबूजा व सर्दियों में सफ़ेद मूसली , सोंठ का प्रयोग करें ।

९२. प्रसव के बाद माँ का पीला दूध बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता को 10 गुना बढ़ा देता है । बच्चो को टीके लगाने की आवश्यकता नहीं होती  है ।

९३. रात को सोते समय सर्दियों में देशी मधु लगाकर सोयें त्वचा में निखार आएगा ।
९४. दुनिया में कोई चीज व्यर्थ नहीं , हमें उपयोग करना आना चाहिए ।
९५. जो अपने दुखों को दूर करके दूसरों के भी दुःखों को दूर करता है , वही मोक्ष का अधिकारी है ।
९६. सोने से आधे घंटे पूर्व जल का सेवन करने से वायु नियंत्रित होती है , लकवा , हार्ट-अटैक का खतरा कम होता है ।
९७. स्नान से पूर्व और भोजन के बाद पेशाब जाने से रक्तचाप नियंत्रित होता है ।
९८ . तेज धूप में चलने के बाद , शारीरिक श्रम करने के बाद , शौच से आने के तुरंत बाद जल का सेवन निषिद्ध है ।
९९. त्रिफला अमृत है जिससे वात, पित्त , कफ तीनो शांत होते हैं । इसके अतिरिक्त भोजन के बाद पान व चूना ।  देशी गाय का घी , गौ-मूत्र भी त्रिदोष नाशक है ।
१००. इस विश्व की सबसे मँहगी दवा लार है , जो प्रकृति ने तुम्हें अनमोल दी है ,  इसे ना थूके ।

Tuesday 5 December 2017

स्वास्थ्य कथा प्रशिक्षण

रसोईघर या किचन  मानव जीवन के इतिहास की सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण खोज है। हर छोटी बड़ी बीमारी का इलाज रसोईघर में मौजूद है।
                                      ________राजीव दिक्सित
नमस्कार मित्र ,
   हम सभी हमेशा स्वस्थ और निरोगी रहना चाहते हैं। पर हज़ार कोशिश के बाद भी डॉक्टर और हॉस्पिटल के चक्कर लगाने ही पड़ जाते हैं। समय के साथ ही मेडिकल साइंस का विकाश हुआ है पर स्वास्थ्य की स्थिति बेहतर नहीं हुई है। उलटे नई नई बीमारिया उत्पन्न हो रही हैं। मधुमेह, हाई बी पी ,लो बी पी,स्लिप डिस्क,रेनल फेलियर , माइग्रेन , जॉइंट्स पेन,  आर्थराइटिस इत्यादि बीमारियां हर घर में हैं। दवाओ और डॉक्टर पर निर्भर रहकर आप इन बीमारियो से बच नहीं सकते हैं। इन बिमारियों से बचने से और स्वस्थ रहने का लिए आप को  छोटी छोटी बातों पर ध्यान देना होगा। आप घर में मौजूद मसलों और भोजन का सही तरीके से उपयोग करेंगे तो इनसे कई बीमारियो का इलाज  कर सकते है। ये मसाले आयुर्वेद में औषधि कहलाते हैं। इनके बारे में जानकारी होनी चाहिए। हम सभी अपनी जीवन शैली में थोडा सा बदलाव करके भी बिमारियों को दूर रख सकते हैं।
           व्यस्त जीवन शैली में  भी घरेलु चिकित्सा का उपयोग करके 85% बिमारियों का सफल उपचार किया जा सकता है। बाकि 15 % बिमारियों  के इलाज के लिए हमें डॉक्टर या वैद्य की जरुरत पड़ेगी। इन 85% बिमारियों से बचने के लिए जरुरी जानकारी आपको स्वास्थ्य कथा के माध्यम से मिलेगी।
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स्वास्थ्य कथा प्रशिक्षण ,उपचार एवं शोध केन्द्र
हेल्पलाइन, संयोजक और मुख्य प्रशिक्षक
दीपक राज मिर्धा
योग शिक्षक,  एक्यूप्रेशर थेरेपिस्ट, मेमोरी ट्रेनर
व्यवहार विशेषज्ञ
राज्य कार्यकारिणी सदस्य-युवा भारत दक्षिण बिहार।                                   ( पतंजलि)
एसोसिएट मेंबर- National acupressure association   
फैकल्टी-National institute of alternative medicine & research center ,patna
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स्वास्थ्य कथा समूह का ये अभियान एक यज्ञ है जो हमारे महान भारत को विश्वगुरु बनाएगा। जिसमे सहयोग करके आप एक महान पुण्य के भागी बनते हैं। आप अपने संगठन, ग्राम, विद्यालय या कार्यालय  में स्वास्थ्य कथा के कार्यशालाओं का आयोजन कर सकते है।हम सभी अन्य जरूरी विवरण के लिए आपके प्रतिउत्तर की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

                                                         वंदे मातरम्

Monday 4 December 2017

माईग्रेन का सफल इलाज

 घरेलू नुस्खे प्रयोग करके माइग्रेन के दर्द से छुटकारा पाया जा सकता है।

1. हर रोज दिन में 2 बार गाय के देसी घी की दो – दो बूँदें नाक में डालें। इससे माइग्रेन में आराम मिलता है।

2. तेल को हल्का गर्म कर ले और माइग्रेन का दर्द सिर के जिस हिस्से में हो वहां पर हल्के हाथों से मालिश करवाये। हेड मसाज के साथ साथ कंधो, गर्दन, पैरों और हाथों की भी मालिश करे।

3. सूभ खाली पेट सेब खाये। माइग्रेन से छुटकारा पाने में ये उपाय काफी असरदार है।

4. माइग्रेन अटैक आने पर मरीज को बेड पर लेट दे और उसके सिर को बेड के नीचे की और लटका दे। सिर के जिस भाग में दर्द है अब उस तरफ की नाक में कुछ बूंदे सरसों के तेल की डाले और रोगी को ज़ोर से सांसों को उपर की और खींचने को कहें। इस घरेलू उपाय को करने पर कुछ ही देर में सिर दर्द कम होने लगेगा।

5. घी और कपूर का इस्तेमाल करे। थोड़ा सा कपूर गाय के देसी घी में मिलाकर सिर पर हल्की हल्की मालिश करने पर head pain से relief मिलता है।

6. माइग्रेन के इलाज में कुछ लोगों को ठंडी चीज़ से आराम मिलता है और कुछ को गरम से। अगर आपको गरम से आराम मिलता है है तो गरम पानी प्रयोग करे और ठंडे से आराम मिलता है ठंडे पानी में तोलिये को भिगो कर कुछ देर दर्द वाले भाग पर रखे। कुछ देर में ही माइग्रेन से राहत मिलने लगेगी।

7. नींबू के छिलके पीस कर पैस्ट बना ले और इसे माथे पर लगाए। इस उपाय से भी आधा सीसी सिर दर्द की समस्या से जल्दी निजात मिलती है।

8. बंदगोभी की पत्तियां पीसकर उसका पैस्ट माथे पर लगाने से भी आराम मिलता है।

9. माइग्रेन की बीमारी में पानी जादा पिए। आप चाय का सेवन भी कर सकते है।

10. जब भी माइग्रेन हो आप किसी खाली रूम में बेड पर लेट जाए और सोने का प्रयास करे।

जाने गर्दन दर्द का इलाज के घरेलू टिप्स



आधा सीसी सिर दर्द का उपचार : राजीव दिक्षित के उपाय

माइग्रेन के ट्रीटमेंट में पालक और गाजर का जूस पीना काफ़ी फायदेमंद होता है। 1 गिलास गाजर के जूस में 1 गिलास पालक का जूस मिलाये और पिये।

अधिक तनाव लेने से माइग्रेन दर्द का अटैक पड़ सकता है इसलिए कभी भी जादा टेंशन ना ले। हर रोज प्राणायाम और योगा से खुद को तनाव मुक्त करने का प्रयास करे।

जाने तनाव कम करने के उपाय


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माइग्रेन का इलाज के बाबा रामदेव योगा टिप्स

रोजाना योगा और एक्सरसाइज करके माइग्रेन से बच सकते है। जिसे आधा सीसी दर्द की परेशानी रहती है वे baba ramdev के बताये हुए योगासान कर के दर्द से छुटकारा पा सकते है। निचे लिखे हुए योगा आसनों को सही तरीके से करने पर आधे सिर दर्द का इलाज में मदद मिलती है।

अनुलोम विलोम प्राणायाम

अधो मुखा सवनआसना

जानु सिरसासन

शिशुआसन

सेतु बंधा



माइग्रेन के उपाय और बचने के टिप्स

माइग्रेन से पीड़ित व्यक्ति को कभी भी इसका अटैक पड़ सकता है इसलिए ज़रूरी है की माइग्रेन से बचने के लिए उपाय किये जाये।

तेज धूप होने पर में बाहर निकलने से बचे।

किसी भी तरह के सिर दर्द को हल्के में ना ले।

तेज गंध वाले सेंट और इत्र लगाने से परहेज करे।

जहाँ रोशनी कम हो उस जगह कोई भी बारीक काम ना करे।

ज़रूरत से अधिक सोना या कम नींद लेने पर भी माइग्रेन बढ़ सकता है।

कभी भी भूखे ना रहे। माइग्रेन के मरीज को अधिक समय तक खाली पेट नहीं रहना चाहिए।

हर रोज 12 – 15 गिलास पानी पिए। रात को तांबे के बर्तन  में पानी रखे और सुबह इसे खाली पेट पिए।

टीवी देखना हो या कंप्यूटर चलना हो जादा पास ना बैठे और मोबाइल पर अधिक समय तक काम ना करे।

कुछ मेडिसिन के कारण भी आधे सिर दर्द की समस्या हो जाती है। माइग्रेन ठीक करने के लिए बाजार में बहुत सी दवायें मिलती है पर इस मेडिसिन के साइड इफ़ेक्ट हो सकते है, इस लिए डॉक्टर से सलाह किये बिना कोई दवा ना ले।