Saturday 21 April 2018

मुस्लिम मुस्लिम भाई भाई(?)

इस्लामी भाईचारे का कच्चा चिट्ठा खोलती Abhijeet Singh भैया की शानदार पोस्ट
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दावती अपनी तकरीरों में यह प्रलाप करते रहतें हैं कि उनका मजहब अकेला ऐसा मजहब है जो पूरी मानव जाति को एकता व भाईचारे के महान सूत्र में पिरो कर रख सकती है. उनका ये भी दावा है कि पूरा इस्लामी विश्व एक 'उम्मा' है, यही अकेला मजहब है जो विश्व में परस्पर शांति व सहअस्तित्व की भावना ला सकता है; इसलिये विश्व में अगर एकता ,स्थायी भाईचारा और अमन चाहिये तो सारे मानव-जाति का उनके मजहब की गोद में आना ही एकमात्र रास्ता है.

मुस्लिम उम्मा की अवधारणा और अपनी इस महान एकता का श्रेय वो अपने 'हिदायत ग्रंथ' को देंतें हैं. दुनिया भर के दावती भले ही ये दावा करतें हों कि उनकी हिदायत का एकमात्र जरिया उनकी किताब है और अपने हर मसले की रहनुमाई के लिये वो उसकी तरफ देखतें हैं मगर वास्तविकता ये है कि किताब को लब्ज़-लब्ज़न हिब्ज़ (याद) करना और रमजान के पूरे महीने भर उसकी तिलावत करना भी उनके किसी काम नहीं आता. उनकी किताब में आया है, "अल्लाह की रस्सी (कुरआन) को मजबूती से पकड़ो और आपस में फूट में न पड़ो" पर आलमी भाईचारे की बात करने वाले मुसलमानों में आपस में झगड़ा ही झगड़ा है. 'बुखारी शरीफ' में आया है- जो अपना दीने-इस्लाम तब्दील करे उसे कत्ल कर दो. (बुखारी, जि-3, हदीस-1814) जबकि हम आये दिन बहाबियो, शियाओं, अहमदियों आदि के कत्ल के बारे में सुनते रहते हैं जिसका कारण ये है कि हर फिरके को मानने वाला दूसरे फिरके के बारे में यही सोचता है कि वो दीन से फिर गया है इसलिये उसकी हत्या कर दी जाये. 'मुस्लिम उम्मा' की जिस अवधारणा के हवाले देकर वो सारी मानव-जाति को परस्पर एकता के लिये इस्लाम की गोद में आने का आमंत्रण देते रहतें हैं, ये अवधारणा कितनी खोखली है आगे के उदाहरणों से स्पष्ट हो जायेगा.

हर फिरका वाला अपने अलावे दूसरे फिरके को काफिर, बेदीन व राह से फिरा हुआ मानता है. पूरे आलम की बात तो छोड़ दें, उसके फिरका से इतर भावना रखने वाले किसी दूसरे मुसलमान को वह बर्दाश्त तक करने को तैयार नहीं है. स्थिति ये है कि मुसलमानों का आज कोई भी फिरका ऐसा नहीं बचा है जिसके मानने वालों को खुद मुसलमानों ने ही काफिर धोषित न किया हो. मसलन 

बहाबी काफिर:-  बहाबी खुद को सच्चा सुन्नी कहतें हैं जबकि बाकी सुन्नियों का मानना है वो मुसलमान ही नहीं हैं. पूरी दुनिया के 300 से अधिक सुन्नी-बरेलवी नेताओं ने एक फतवा जारी करके देवबंदियों अथवा बहाबियों के बारे में घोषित किया था वो काफिर हैं और साथ ही यह भी फतवा दिया था कि किसी सुन्नी के लिये जायज नहीं कि वो बहाबियों को अपनी लड़की निकाह में दे. अरब के हरमैन-शरीफैन से देवबंदियों के बारे में एक फतवा आया था जिसमें कहा गया था- 'जो कोई बहाबियों के काफिर होने में तथा इनके अजाब में शक करे वो खुद काफिर है' 

बरेलवी काफिर:- देवबंद के मोहम्मद सैयद मुहम्मद मुर्तजा ने भी अपने इसी तरह के एक फतवे में बरेलबियों के खिलाफ इसी तरह की बात कही थी. मुर्तजा ने बरेलबियों के धर्मगुरु 'अहमद रजा खान बरेलवी' के बारे में कहा था कि वो मुर्तद (धर्मभ्रष्ट) और काफिर हो चुकें हैं आौर वही दज्जाल हैं. गौरतलब है कि भारतीय महाद्वीप में बहुसंख्यक मुसलमान बरेलवी हैं.

जमाते-इस्लामी काफिर:- जमात-ए-इस्लामी के संस्थापक मौलाना मौदूदी (जिसके मानने वाले हिंदुस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश हर जगह मौजूद हैं) के बारे में कई मुस्लिम धर्मगुरुओं ने कहा है कि हुज़ूर ने जिन 30 झूठे नबियों की चर्चा की थी उसमें एक मौदूदी भी थे. मौदूदी पर दिये एक फतवे में कहा गया "इसमें कोई शक नहीं है कि मौलाना मौदूदी बर्बाद होने वालों में से है. मौलाना सैयद मौलवी मोहम्मद ने मुसलमानों से कहा था- "हदीसे-रसूल के अनुसार कयामत तब तक कायम नहीं हो सकती जब तक मेरी उम्मत में 30 झूठे न हो जायें, उसमें से एक मौदूदी के रुप में गुजर चुका".

अहले-हदीस काफिर:-  अहदे-हदीस के बारे में बहुत सारे मौलानाओं का फतवा है कि वो राह से भटक गयें हैं क्योंकि वो नमाज पढ़ने में वो तरीका अपनातें हैं जो मदीना के मुनाफिकों ने अपनाया था.

मजार पूजक काफिर:-  मुसलमानों में बहुसंख्यक मजारों पर हाजतें मांगने जातें हैं, परंतु बहाबी व अन्य कट्टरपंथी उन्हें पथभष्ट्र और राह से भटका हुआ मानतें है. जमात-ए-इस्लामी के संस्थापक मौलाना मौदूदी ने मजारों पर जाने वालों पर लानत भेजते हुये कहा था-' जो लोग हाजतें मांगने अजमेर या फिर सैयद सालार मसउद गाजी के मजार पर जातें हैं वो गोया इतना बड़ा गुनाह करतें हैं कि उस गुनाह के आगे किसी को कत्ल कर देना या किसी लड़की से जिना करना भी कमतर है. (तजदीदो इहएा-ए-दीन, सफा नं0-96, मौलाना मौदूदी, मर्कजी मकतबा इस्लामी)

शिया काफिर:-  बहाबियों और सुन्नियों के दूसरे फिरकों ने शियाओं को काफिर घोषित कर रखा है इसके उलट शिया ये मानतें हैं कि सुन्नी काफिर है क्योंकि इन्होनें कुरान को बदल दिया. शिया-सुन्नी के बीच के झगड़ों का अपना इतिहास है जिसके कारण आज तक लाखों मुसलमान मारे गयें हैं. पाकिस्तान, ईराक, अफगानिस्तान, लेबनान आदि देशों में हर बर्ष हजारों लोगों का इसी कारण कत्ल होता है. अरब मुमालिक में तो बहाबी प्रभाव के कारण शियाओं को दोयम दर्जे का नागरिक समझा जाता है. बहाबियों ने अपने फतवों में ये घोषित कर रखा है कि शिया रक्त हलाल है क्योंकि ये न केवल प्रथम तीन खलीफा की खिलाफत का इंकार करतें हैं. शियाओं को वहां न तो मस्जिद बनाने का अधिकार है और न ही अपने किसी मस्जिद के विस्तार करने का. 

अहमदिया काफिर:-  यह फिरका पंजाब के गुरुदासपुर जिले के कादियान नामक स्थान पर शुरु हुआ था. इसके संस्थापक ने खुद को नबी घोषित किया था जिसके कारण मुसलमानों के बाकी फिरके कादियानियों को काफिर मानतें हैं. पाकिस्तान में इनकी सबसे ज्यादा तादाद है मगर वहां इन्हें गैर-मुस्लिम समझा जाता है तथा आये दिन वहां इन पर जुल्म किये जाते है. इनलोगों के हज करने पर भी पाबंदी है.

संभवतः रसूल साहब जानतें थे कि उसके उम्मती उनके जाने के बाद आपस में कत्लेआम करेंगे इसलिये इसकी भबिष्यवाणी उन्होंने पहले ही कर दी थी. एक हदीस उक्बा बिन आमिर की रिवायत है, वो कहतें हैं कि एक बार हुज़ूर ऊहद के शहीदों के लिये नमाज पढ़ चुके तो कहा कि मुझे इस बात का डर नहीं है कि मेरे बाद तुम अल्लाह के साथ किसी को शरीक करोगे मगर मुझे डर है कि तुम नाहक की बातों पर एक-दूसरे का खून बहाओगे. (बुखारी, कि-2, जि0-23, हदीस-428)

इस खूनी जंग और वहशत का अपना इतिहास है जिसके कई उदाहरण हैं:- 

- मुस्लिम मुल्क पाकिस्तान में इस्लाम के कई पंथों को मानने वाले ही सुरक्षित नहीं है. वहां पर गौहरशाही व अहमदिया आदि मुस्लिम समुदायों को काफिर ठहराया जा चुका है तथा आये दिन उनका कत्लेआम चलता रहता है. शियाओं का कत्लेआम तो आम बात है.

 भारत में देबबंदी व बरेलबियों के बीच भी आपस में जर्बदस्त नफरत हैं. मुहर्रम के मौके पर लखनऊ समेत कई शहरों में इनके बीच झड़पें होती रहती है.

- हदीस में आया है है कि किसी भी मुसलमान पर किसी दूसरे मुसलमान का कत्ल हराम है मगर बाबजूद इसके युगांडा के ईदी अमीन, इराक के सद्दाम हुसैन व लीबिया के कर्नल गद्दाफी ने अपने ही हजारों देशवासियों (मुसलमानों) का कत्ल करवाया. शियाओं के सम्मान का मर्कज़ करबला को अपमानित करने का प्रयास सद्दाम हुसैन ने किया था.
 
-1980 का पूरा दशक दो मुसलमान मुल्कों के बीच के युद्ध में ही गुजरा है.

- ईरान में अयातुल्ला खुमैनी ने इस्लामी क्रांति के नाम पर हजारों मुसलमानों को मरवा दिया था.

- गाजी सलाउद्दीन को इस्लाम का त्राता कहा जाता था पर उसी के कुर्द वंश के खिलाफ सद्दाम हुसैन ने दमनचक्र चलाया था.

-सर्वइस्लामवाद की बात करने वाले कई इस्लामिक मुल्क यथा कुवैत, अरब, जोर्डन, ईरान आदि कई देश 1962 आते-2 एक दूसरे से घोर नफरत करने लगे तथा 1971 में एक इस्लामी मुल्क पाकिस्तान के बर्षों के दमन से पीड़ित बांग्लादेश ने मुक्ति युद्ध छेड़ दिया. मुस्लिम विश्व के एकता की बात हवा में उड़ गई.

- इराक और कुवैत का आपसी संघर्ष इस्लामी आलमी भाईचारे के दावों का माखौलपहले ही उड़ा चुकी है.

स्पष्ट है दुनिया के दूसरे धर्मो को मानने वाले को आलमी भाईचारे की सीख देने वाले खुद के झगड़ों में ही इतने उलझे हुये हैं जिसकी कोई हद नहीं है. 73 फिरकों में बंटे मजहब का कोई भी फिरका दूसरे फिरके को फूटी आंख नहीं सुहाता. एक-दूसरे को काफिर साबित करने की उनमें ऐसी होड़ लगी हुई है कि आज कोई भी फिरका ऐसा नहीं बचा है जिसे किसी दूसरे फिरके ने काफिर, बेदीन और मुर्तद न धोषित किया हो और दावा यह कि हम दुनिया में अमन कायम करेंगें.

Tuesday 10 April 2018

पानी और एनर्जी ड्रिंक




*इन कामो के बाद तुरंत पानी नही पिए*

पानी शरीर का सार है, हमारे शरीर का 75 % पानी ही है, हमको दिन भर में कम से कम 8-१० गिलास पानी अवश्य पीना चाहिए, मगर कुछ घड़ियाँ ऐसी होती हैं जिनमे पानी पीना अनेक रोगों को आकर्षित करता है, ऐसे में इसका पूरा ख्याल रखें. आइये जाने…

बिलकुल सोते हुए
शौच के आते ही
लघुशंका (मूत्र) करते ही
दूध के पीते ही
चाय पीते ही
चाट खाते ही
चना खाते ही
भोजन करते ही
चलकर थके हुए हों तो
पसीने में आते ही
मेहनत करके निबटते हुए
भूखे पेट व्रत खोलते ही
उपरोक्त परिस्थितियों में अचानक से पानी नहीं पीना चाहिए। जैसे ही शरीर का तापमान सामान्य हो तब ही जल ग्रहण करें। अन्यथा शारीर और पानी का तापमान भिन्न होने के कारण शारीर रोगों कि चपेट में आ सकता है।

भोजन के तत्काल बाद गले में खुश्की जैसा लगता है, उससे विचलित होने के बजाये उसे सहन करने कि आदत डालनी चाहिए, जो लोग भोजन के तत्काल बाद पानी पीते हैं, वे लगभग एक घंटे तक सब्र रखें।
जयश्री कृष्ण वर्षा परीख
*Health Benefit of Drinking Water Early in morning.*

वैसे तो सुबह उठ कर ताम्बे के बर्तन में रखे हुए पानी के अनगिनत लाभ है, छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी बीमारी के लिए ये रामबाण सिद्ध हो सकता हैं। आज हम आपको ऐसी ही कुछ लाभ बताते हैं। कई सारी बीमारियां हमारे पेट से ही जन्‍म लेती हैं इसलिए पेट को दुरुस्‍त रखना बहुत जरूरी है, तो क्‍यों न इसकी शुरूआत सुबह होने के बाद करें और उठने के तुरंत बाद खाली पेट पानी पियें और स्‍वस्‍थ रहें।

*तो आइये जाने जागने के तुरंत बाद क्यों पियें पानी*

*1:- सुबह खाली पेट पानी पीना है फायदेमंद*

क्‍या आपको मालूम है कि अगर आप सुबह के समय उठते ही रोजाना खाली पेट पानी पियेंगे तो आपकी कितनी बीमारियां दूर हो सकती हैं? कई सारी बीमारियां हमारे पेट से ही जन्‍म लेती हैं और अगर आप खाली पेट पानी पियेगें तो आप इस खतरे को काबू में करने का पहला कदम उठाएंगे। आइये जानते हैं कि सुबह खाली पेट पानी पीने से हमारे शरीर को कौन-कौन से लाभ पहुंचते हैं।

*2:- पेट साफ रहता है*

जब आप बहुत सारा पानी पीते हैं तो आपको अपने आप ही टॉयलेट जाने की इच्‍छा होने लगती है। अगर ऐसा रोजाना करेगें तब आपके पेट का सिस्‍टम गंदगी को बाहर निकालने लगेगा और आपका पेट साफ हो जाएगा। जिन लोगों को कब्ज़ की शिकायत रहती है उनके लिए ये नुस्खा बेहद कारगर साबित होता है।

*3:- शरीर से गंदगी बाहर निकाले*

सुबह सुबह उठकर खाली पेट पानी पीने से आपके पेट के अंदर की हर प्रकार की गंदगी बाहर निकल जाती है। पानी शरीर से हर प्रकार की गंदगी को बाहर निकाल देता है। जब आप खाली पेट अधिक पानी पी कर पेशाब करते हैं, तब आपका शरीर गंदगी से छुटकारा पा लेता है और साथ ही, आपको ताजगी का एहसास होता है।

*4:- भूख बढ़ती है*

जब सुबह पेट साफ नहीं हो पाता तो भूख भी नहीं लगती। ऐसे में आपके शरीर को जरूरी पोषण नहीं मिल पाता। अगर आप सुबह उठते ही पानी पीते हैं तो आपका पेट साफ हो जाता है और इस प्रकार से आपको भूख लगती है। फिर आपका सुबह का नाश्ता अच्‍छा होता है।

*5:- सिरदर्द से छुटकारा*

अक्सर लोगों को नींद पूरी करने के बावजूद सुबह सिर दर्द महसूस होता है। हममें से काफी लोगों को ये बात नहीं मालूम होती कि कई बार हमारे शरीर के अंदर पानी की कमी ही वजह से सिर में दर्द शुरु हो जाता है। अगर आपको भी ऐसी समस्या का सामना करना पड़ता है तो कोशिश करें कि सुबह खाली पेट बहुत सारा पानी पियें।

*6:- बढ़ाए मेटाबॉलिज्‍म*

पानी पीने से मेटोबॉलिज्म को भी मजबूती मिलती है। सुबह सुबह खाली पेट पानी पीने से आपके शरीर का मेटाबॉलिज्‍म 24 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। इसका मतलब है कि आप खाने को जल्‍द पचा सकेगें। जब खाना ठीक से पच जाता है तो शरीर अन्य समस्याओं से भी बच जाता है।

*7:- खून बढ़ता है*

सुबह सुबह खाली पेट पानी पीना आपका खून भी बढ़ाता है। दरअसल, खाली पेट पानी पीने से रेड ब्‍लड सेल्‍स जल्‍दी जल्‍दी बढ़ने लगते हैं। इसलिए अगर आपको खून की कमी है तो आप इसकी आदत जरूर डाल लें।

*8:- वजन घटता है*

अगर आप ओवर वेट हैं, और वजन घटाना चाहते हैं तो सुबह खाली पेट पानी पीना आपकी मदद कर सकता है। सुबह खाली पेट पानी पीने से शरीर से खराब ट्रांसफैट बाहार निकल कर शरीर का फैट मैटोबॉलिज्‍म बढ़ाता है। इस वजह से आपको वजन घटाने में आसानी होती है।

*9:- त्वचा पर चमक आती है*
जब आप सुबह उठते ही सबसे पहले पानी पियेंगे, तो आपकी त्वचा चमकने लगेगी। इस आदत से चेहरे पर निकलने वाले कील-मुंहासे पानी पीने से साफ हो जाएंगे। दरअसल, चेहरे की चमक का पेट के स्वास्थ्य से गहरा संबंध होता है। जब पेट ठीक रहेगा तो आपकी त्वचा स्वस्थ्य रहेगी।

 *बिना एनर्जी ड्रिंक पिये, ऐसे बढ़ाएं अपना एनर्जी का लेवल* 

आलस और थकावट आज कल आम बात हो गयी है, और इससे बचने के लिए हम अक्सर कॉफी, सॉफ्ट ड्रिंक्स और दूसरी एनर्जी ड्रिंक्स पी लेते हैं। लेकिन इन्हें लंबे समय तक पीने से हमे कई स्वास्थ्य संबंधी समस्या होने लगाती हैं। क्योंकि इनमें पाये जाने वाला कैफीन हमारे शरीर के लिए बहुत हानिकारक होता है। कैफीन कुछ समय के लिए आपके दिमाग को सचेत कर देता है, लेकिन जब कैफीन का असर खत्म होता है तो आप फिर से थकावट महसूस करने लगते हैं। 

पांच एनर्जी फूड जो आपकी शक्ति बढ़ाए कैफीन को जितना जल्दी हो सके आप अपने खाने पीने की चीज़ों से दूर कर दें। आपको ऐसा प्राकृतिक आहार खाना चाहिए जिसमें कैफीन की मात्रा ना के बराबर हो और जो आपको पूरा दिन ऊर्जावान भी रखें। आज हम आपको कुछ ऐसे ही खाद्य पदार्थ के बारे में बताने जा रहें हैं।   

*बादाम* बादाम में कैल्‍शियम, मैगनीशियम, पोटैशियम और प्रोटीन पाया जाता है जो आपके शरीर को पूरा दिन ऊर्जावान रखता है। एक मुट्ठी बादाम रोज़ खाने से आपका दिमाग तेज़ होता है और एकाग्रता बढ़ती है। 

*हुमस* हुमस काबुली चने की चटनी को कहते हैं, इसमें आप कच्ची सब्ज़ियाँ मिला के खा सकते हैं। इसमें प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट होते हैं, जो आपके दिमाग को ऊर्जा देते हैं। 

*पालक* पालक में आयरन के अलावा और भी कई पोषक तत्व होते हैं जो हमे पूरा दिन ऊर्जावान रखने के लिए काफी हैं। आप पालक का सलाद या सूप बना के पी सकते हैं। 

*केला* केले में पोटेशियम की मात्रा काफी अधिक होती है, जो सुस्ती और थकान को दूर रखती है। केले में विटामिन बी -6 भी होता है जो आपके ऊर्जा के स्तर को बनाये रखता है और कान्सन्ट्रैशन को भी बढ़ता है। पानी की कमी ना होने दें पानी की कमी से नींद आना, थकावट लगना और कमज़ोरी महसूस होती है। अपने काम के बीच में आप पानी पीना भूल जाते हैं, जिसके चलते आपको सर में दर्द और थकान लगने लगती है। इसलिए खूब पानी पीयें। 

*सेब* सेब में एंटीऑक्सिडेंट्स भरपूर मात्रा में होते हैं जो हमारे शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं। इसमें विटामिन, मिनरल्स और फाइबर पाया जाता है जो आपके शरीर को ऊर्जावान रखता है। 

बीच बीच में खड़ें हो जाएं अगर आप पूरे दिन कंप्यूटर पर काम करते हैं तो थोड़ी थोड़ी देर में खड़े होजाएं और इधर उधर चालें फिरें। इससे आपको नींद नहीं आएगी और आपका मन काम में भी लगेगा। लंबे समय तक बिना हिले एक जगह पर बैठे रहने से आपका स्वास्थ भी ख़राब हो सकता है। जय श्री कृष्ण वर्षा परीख

*गाने सुनें काम से ब्रेक लें* और कुछ अच्छे गाने सुने। इससे आपका मूड अच्छा हो जायेगा और आप के अंदर ऊर्जा आएगी। गाना सुने से दिमाग में डोपामाइन नाम का रसायन बनता है जो आपको खुश रखता है साथी ही थकान को भी दूर भगाता है। 

धूप में घूमे सूर्य की रोशनी में जाने से सेरोटोनिन नामक रसायन आपके दिमाग में बनता है, जो थकान और आलस्य को भी दूर रखता है।

सुंदरता और उदारता


एक सभ्रांत प्रतीत होने वाली अतीव सुन्दरी ने विमान में प्रवेश किया और अपनी सीट की तलाश में नजरें घुमाईं । उसने देखा कि उसकी सीट एक ऐसे व्यक्ति के बगल में है जो जिसके दोनों ही हाथ नहीं है। महिला को उस अपाहिज व्यक्ति के पास बैठने में झिझक हुई !
उस 'सुंदर' महिला ने एयरहोस्टेस को कहा कि वह उसके लिए नियत सीट पर सुविधापूर्वक यात्रा नहीं कर पायेगी, क्योंकि साथ की सीट पर एक दोनों हाथ विहीन व्यक्ति बैठा हुआ है | उस सुन्दरी ने एयरहोस्टेस से सीट बदलने हेतु आग्रह किया | 
असहज हुई एयरहोस्टेस ने पूछा, "मैम क्या मुझे कारण बता सकती है"?
'सुंदर' महिला ने जवाब दिया: "मैं ऐसे लोगों को पसंद नहीं करती। मैं ऐसे व्यक्ति के पास बैठकर यात्रा नहीं कर पाउंगी "। 
दिखने में सभ्रांत और विनम्र प्रतीत होने वाली महिला के यह उद्गार सुनकर एयर हॉस्टेज़ अचंभित हो गई । सुन्दरी ने एक बार फिर एयरहोस्टेस से जोर देकर कहा कि मैं उस सीट पर नहीं बैठ सकती और मुझे कोई दूसरी सीट दे दी जाए ।
एयरहोस्टेस ने खाली सीट की तलाश में चारों ओर नजर घुमाई, पर कोई भी सीट खाली नहीं दिखी । 
एयरहोस्टेस ने महिला से कहा कि "मैडम इस इकोनोमी क्लास में कोई सीट रिक्त नहीं है, किन्तु यात्रियों की सुविधा का ध्यान रखना हमारा दायित्व है, अतः मैं वायुयान के कप्तान से बात करती हूँ, कृपया तब तक थोडा धैर्य रखें "। ऐसा कहकर होस्टेस कप्तान से बात करने चली गई |
कुछ समय बाद उसने लौट कर महिला को बताया, "महोदया! आपको जो असुविधा हुई, उसके लिए बहुत खेद है | इस पूरे विमान में, केवल एक सीट खाली है और वह प्रथम श्रेणी में है। मैंने हमारी टीम से बात की और हमने एक असाधारण निर्णय लिया। एक यात्री को इकोनॉमी क्लास से प्रथम श्रेणी में भेजने का कार्य हमारी कंपनी के इतिहास में पहली बार हो रहा है ... "।
'सुंदर' महिला अत्यंत प्रसन्न हो गई, किन्तु इसके पहले कि वह अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करती और एक शब्द भी बोल पाती ... एयरहोस्टेस उस अपाहिज और दोनों हाथ विहीन व्यक्ति की ओर बढ़ गई और विनम्रता पूर्वक उनसे पूछा "सर, क्या आप प्रथम श्रेणी में जा सकेंगे ? क्योंकि हम नहीं चाहते कि आप एक अशिष्ट यात्री के साथ यात्रा करने की त्रासदी भुगतें । "
यह सुनकर प्रत्येक यात्री ने ताली बजाकर इस निर्णय का स्वागत किया। वह अतीव सुन्दरी महिला तो अब शर्म से नजरें ही नहीं उठा पा रही थी।
तब उस अपाहिज व्यक्ति ने खड़े होकर कहा, "मैं एक भूतपूर्व सैनिक हूँ और मैंने एक ऑपरेशन के दौरान कश्मीर सीमा पर हुए बम विस्फोट में अपने दोनों हाथ खोये थे । सबसे पहले, जब मैंने इन देवी जी की चर्चा सुनी, तब मैं सोच रहा था: मैंने भी किन लोगों की सुरक्षा के लिए अपनी जान जोखिम में डाली और अपने हाथ खोये ? लेकिन जब आप सभी की प्रतिक्रिया देखी तो अब अपने आप पर गर्व महसूस हो रहा है कि मैंने अपने देश और देशवासियों की खातिर अपने दोनों हाथ खोये । "और इतना कह कर, वह प्रथम श्रेणी में चले गए।
'सुंदर' महिला पूरी तरह से शर्मिंदा होकर सर झुकाए सीट में गढ़ गई।
उस अतीव  सौंदर्य का भी कोई मूल्य नहीं अगर विचारों में उदारता न हो ।

what these few organs are afraid of?


*Please remember what these few organs are afraid of?*
 
Kidney: Afraid to stay up all night.

Stomach: Afraid of the cold food. 

Lung: Afraid of smoke.

Liver: Afraid of fatty stuff.

Heart: Afraid of salty food. 

Pancreas: Afraid of binge eating.

Intestinal: Afraid of eating seafood indiscriminately.

Eyes: Afraid of mobile phones and computers screens. 

Gallbladder: Afraid of not eating breakfast.

So please take real good care of yourself!

Because spare parts may not fit. 

They are very expensive and not necessarily in stock.

Sunday 8 April 2018

महाराणा प्रताप के बारे में कुछ रोचक जानकारी

महाराणा प्रताप के बारे में कुछ रोचक जानकारी:-
1... महाराणा प्रताप एक ही झटके में घोड़े समेत दुश्मन सैनिक को काट डालते थे।
2.... जब इब्राहिम लिंकन भारत दौरे पर आ रहे थे ।  तब उन्होने अपनी माँ से पूछा कि- हिंदुस्तान से आपके लिए क्या लेकर आए ? तब माँ का जवाब मिला- "उस महान देश की वीर भूमि हल्दी घाटी से एक मुट्ठी धूल लेकर आना,  जहाँ का राजा अपनी प्रजा के प्रति इतना वफ़ादार था कि उसने आधे हिंदुस्तान के बदले अपनी मातृभूमि को चुना ।" 
लेकिन बदकिस्मती से उनका वो दौरा रद्द हो गया था |
 "बुक ऑफ़ प्रेसिडेंट यु एस ए ' किताब में आप यह बात पढ़ सकते हैं |
3.... महाराणा प्रताप के भाले का वजन 80 किलोग्राम था और कवच का वजन भी 80 किलोग्राम ही था|
कवच, भाला, ढाल, और हाथ में तलवार का वजन मिलाएं तो कुल वजन 207 किलो था।

4.... आज भी महाराणा प्रताप की तलवार कवच आदि सामान उदयपुर राज घराने के संग्रहालय में सुरक्षित हैं |
5.... अकबर ने कहा था कि अगर राणा प्रताप मेरे सामने झुकते है, तो आधा हिंदुस्तान के वारिस वो होंगे,  पर बादशाहत अकबर की ही रहेगी|
लेकिन महाराणा प्रताप ने किसी की भी अधीनता स्वीकार करने से मना कर दिया |

6.... हल्दी घाटी की लड़ाई में मेवाड़ से 20000 सैनिक थे और अकबर की ओर से 85000 सैनिक युद्ध में सम्मिलित हुए |

7.... महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक का मंदिर भी बना हुआ है,  जो आज भी हल्दी घाटी में सुरक्षित है |

8.... महाराणा प्रताप ने जब महलों का त्याग किया तब उनके साथ लुहार जाति के हजारो लोगों ने भी घर छोड़ा और दिन रात राणा कि फौज के लिए तलवारें बनाईं | इसी समाज को आज गुजरात मध्यप्रदेश और राजस्थान में गाढ़िया लोहार कहा जाता है| मैं नमन करता हूँ ऐसे लोगो को |

9.... हल्दी घाटी के युद्ध के 300 साल बाद भी वहाँ जमीनों में तलवारें पाई गई।
आखिरी बार तलवारों का जखीरा 1985 में हल्दी घाटी में मिला था |

10..... महाराणा प्रताप को शस्त्रास्त्र की शिक्षा "श्री जैमल मेड़तिया जी" ने दी थी,  जो 8000 राजपूत वीरों को लेकर 60000 मुसलमानों से लड़े थे। उस युद्ध में 48000 मारे गए थे । जिनमे 8000 राजपूत और 40000 मुग़ल थे |

11.... महाराणा के देहांत पर अकबर भी रो पड़ा था |

12.... मेवाड़ के आदिवासी भील समाज ने हल्दी घाटी में
अकबर की फौज को अपने तीरो से रौंद डाला था । वो महाराणा प्रताप को अपना बेटा मानते थे और राणा बिना भेदभाव के उन के साथ रहते थे ।
आज भी मेवाड़ के राजचिन्ह पर एक तरफ राजपूत हैं, तो दूसरी तरफ भील |

13..... महाराणा प्रताप का घोड़ा चेतक महाराणा को 26 फीट का दरिया पार करने के बाद वीर गति को प्राप्त हुआ | उसकी एक टांग टूटने के बाद भी वह दरिया पार कर गया। जहाँ वो घायल हुआ वहां आज खोड़ी इमली नाम का पेड़ है, जहाँ पर चेतक की मृत्यु हुई वहाँ चेतक मंदिर है |

14..... राणा का घोड़ा चेतक भी बहुत ताकतवर था उसके
मुँह के आगे दुश्मन के हाथियों को भ्रमित करने के लिए हाथी की सूंड लगाई जाती थी । यह हेतक और चेतक नाम के दो घोड़े थे|

15..... मरने से पहले महाराणा प्रताप ने अपना खोया हुआ 85 % मेवाड फिर से जीत लिया था । सोने चांदी और महलो को छोड़कर वो 20 साल मेवाड़ के जंगलो में घूमे ।

16.... महाराणा प्रताप का वजन 110 किलो और लम्बाई 7'5" थी, दो म्यान वाली तलवार और 80 किलो का भाला रखते थे हाथ में।

महाराणा प्रताप के हाथी की कहानी:
मित्रो, आप सब ने महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक के बारे में तो सुना ही होगा,
लेकिन उनका एक हाथी भी था। जिसका नाम था रामप्रसाद। उसके बारे में आपको कुछ बाते बताता हुँ।

रामप्रसाद हाथी का उल्लेख अल- बदायुनी, जो मुगलों की ओर से हल्दीघाटी के
युद्ध में लड़ा था ने अपने एक ग्रन्थ में किया है।

वो लिखता है की- जब महाराणा प्रताप पर अकबर ने चढाई की थी,  तब उसने दो चीजो को ही बंदी बनाने की मांग की थी । एक तो खुद महाराणा और दूसरा उनका हाथी रामप्रसाद।

आगे अल बदायुनी लिखता है की-  वो हाथी इतना समझदार व ताकतवर था की उसने हल्दीघाटी के युद्ध में अकेले ही अकबर के 13 हाथियों को मार गिराया था ।

वो आगे लिखता है कि- उस हाथी को पकड़ने के लिए हमने 7 बड़े हाथियों का एक
चक्रव्यूह बनाया और उन पर14 महावतो को बिठाया,  तब कहीं जाकर उसे बंदी बना पाये।

अब सुनिए एक भारतीय जानवर की स्वामी भक्ति।

उस हाथी को अकबर के समक्ष पेश किया गया । 
जहा अकबर ने उसका नाम पीरप्रसाद रखा।

रामप्रसाद को मुगलों ने गन्ने और पानी दिया।

पर उस स्वामिभक्त हाथी ने 18 दिन तक मुगलों का न तो दाना खाया और न ही
पानी पिया और वो शहीद हो गया।

तब अकबर ने कहा था कि- जिसके हाथी को मैं अपने सामने नहीं झुका पाया,  
उस महाराणा प्रताप को क्या झुका पाउँगा.?

इसलिए मित्रो हमेशा अपने भारतीय होने पे गर्व करो।

पढ़कर सीना चौड़ा हुआ हो तो शेयर कर देना।



Saturday 7 April 2018

उपवास

बिना खर्च की औषधि है उपवास

क्या आप जानते हैं?

आयुर्वेद के प्रसिद्ध ग्रंथ 'चरक संहिता' से लेकर आज के विभिन्न चिकित्सीय शोधों ने भी उपवास के अनेक लाभ बताए हैं।
 

उपवास से पाचनतंत्र दुरूस्त रहता है जिससे शरीर में उपस्थित विषाक्त पदार्थों का निष्कासन आसानी से हो जाता है।
 
हर सप्ताह उपवास रखने से कोलेस्ट्राल की मात्रा घटने लगती है जो धमनियों के लिए लाभदायक है।
आज की दौड़ने-भागने वाली जिन्दगी, व्यस्त दिनचर्या, औरों से आगे बढ़ने में लीन मानव के शरीर को अनेक रोगों ने अपना घर बना रखा है। यद्यपि पहले की अपेक्षा चिकित्सा विज्ञान ने आज दिन दूनी-रात-चौगुनी उन्नति कर ली है किन्तु फिर भी रोगों की संख्या कम होने के बजाय बढ़ती ही जा रही है।

सच तो यह है कि बीमारियों का मानव-शरीर पर हमला बोलने का मुख्य कारण उसका अनियमित खान-पान है। आज का बाजार फास्ट फूड से भरा हुआ है जो न तो पौष्टिक होता है और न ही स्वास्थ्यवर्धक। मानव ने क्षुधा शांत करने व स्वाद के चक्कर में साधारण एवं संतुलित भोजन करने की अपेक्षा ऐसे भोजन को प्राथमिकता दे रखी है। फलतः उसके निरन्तर सेवन से वह हर समय किसी न किसी गंभीर रोग से जकड़ा रहता है। आज के युग में रोगों से बचने एवं अपने खान-पान को नियमित एवं संतुलित रखने का सर्वोत्तम उपाय 'उपवास' है। आयुर्वेद के प्रसिद्ध ग्रंथ 'चरक संहिता' से लेकर आज के विभिन्न चिकित्सीय शोधों ने भी उपवास के अनेक लाभ बताए हैं। 

उपवास की भारतीय परंपरा-

सामान्यतः उपवास का अर्थ भोजन के त्याग से है किन्तु वास्तविक अर्थ किसी उद्देश्य आदि की पूर्ति हेतु एक निश्चित ईश्वर के प्रति आस्था प्रकट करने या रोगादि से मुक्ति पाना भी हो सकता है।

भारत एक धार्णिक देश है इसलिए यहाँ की संस्कृति में उपवास का अपना एक धार्मिक महत्व भी है। भारतीय मनीषियों ने शौर्य-बल प्राप्त करने, ईश्वर के प्रति अपनी आस्था प्रकट करने, धर्म को चरम पर पहुँचाने आदि कार्यों में उपवास का सदैव सहारा लिया है। शायद इसी कारण भारतीय मनीषी व साधु-संत लोग दीर्घायु एवं निरोगी रहते थे।

प्राचीनकाल से लेकर आज के विज्ञान युग में भी उपवास का महत्व कम नहीं हुआ है। आज भी खासकर महिलाएँ जन्माष्टमी, महाशिव रात्रि, करवाचौथ या सोमवार आदि अनेक अवसरों पर उपवास अवश्य रखती हैं। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं उपवास रखने के कारण ज्यादा स्वस्थ रहती हैं।

उपवास की सलाह क्यों-

चरक संहिता से लेकर आज के शरीर विज्ञानी भी मानते हैं कि उपवास का चिकित्सीय महत्व भी है। उनका मानना है कि सप्ताह में कम से कम एक बार उपवास रखने से पाचन-तंत्र दुरूस्त रहता है। दरअसल भोजन को पचाने में पाचन-तंत्र को काफी मेहनत करनी पड़ती है। इस कारण उसे आराम करने का समय नहीं मिल पाता और पाचन क्रिया पड़ने लगती है। उससे भोजन पर्याप्त ढंग से नहीं पच पाता। फलतः अनेक व्याधियाँ जैसे कब्ज, अम्लपित्त, गैस बनना, मधुमेह, मोटापा आदि अन्य जन्म लेने लगती हैं। इन सबसे छुटकारा पाने के लिए शरीर विज्ञानी सप्ताह में एक बार उपवास रखने की सलाह देते हैं।

उपवास से लाभ : 

उपवास रखने से प्राप्त होने वाले लाभों को दो भागों में बाँट सकते हैं जिनका तन व मन दोनों पर व्यापर प्रभाव पड़ता है।

धार्मिक दृष्टिकोण से लाभ : यदि पूर्ण विधि-विधान एवं निष्ठापूर्वक उपवास रखा जाए तो आरोग्यता तो बढ़ती ही है, आत्मबल व संकल्पशक्ति में भी वृद्धि होती है। मन में सात्विक एवं सकारात्मक विचार आते हैं। फलतः व्यक्ति अनेक मानसिक व्याधियों जैसे तनाव, अवसाद, हीनता आदि से मुक्त रहता है। सोचने-समझने की शक्ति व एकाग्रता बढ़ती है। निरुक्त नामक ग्रंथ में उपवास को 'सत्कर्म' एवं 'सत्संकल्प' की संज्ञा दी गयी है। कई विद्वानों ने इसे तपस्या का अंग एवं सुखी जीवन का रहस्य भी बताया है।

इसके अलावा उपवास के दिन व्यक्ति प्रायः गंभीरतापूर्वक नियम-धरम से चलता है। वह इस दिन हल्का-फुल्का, सादा, कम तल-भुना, फल, मिष्टान आदि भोजन के रूप में लेता है। गाली-गलौज, क्रोध व मद्यपान आदि से दूर रहता है। कम बोलता है व हर समय ईश्वर-भक्ति में लगा रहता है। इसके पीछे एक धार्मिक आस्था यह भी होती है कि यदि नियम-धरम से न चला जाए तो ईश्वर नाराज हो सकते हैं। अतः उपवास से व्यक्ति अनुशासित एवं खानपान के प्रति जागरूक अवश्य बन सकता है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से लाभ : वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो उपवास रोगों के लिए महौषधि है। इससे पाचनतंत्र दुरूस्त रहता है। फलतः भोजन का पाचन ढंग से हो जाता है। शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों का निष्कासन आसानी से हो जाता है।

यही नहीं, अनुसंधानियों का यह भी कहना है कि दुर्बलता, रक्तअल्पता, भूख न लगना, साँस फूलना, आमाशय के कैंसर आदि व्याधियाँ तो दूर होती ही हैं, विभिन्न उदर रोग जैसे कब्ज, आँव, संग्रहणी, बवासीर आदि से भी मुक्ति मिलती है। हृदय की धमनियाँ लम्बे समय तक स्वस्थ रहती हैं क्योंकि हर सप्ताह उपवास रखने से कोलेस्ट्राल की मात्रा घटने लगती है जो धमनियों के लिए लाभदायक है। उपवास से मोटापा भी नियंत्रण में रहता है। वजन कम रहने से शरीर का आकार आकर्षक एवं सुडौल रहता है। चेहरे पर असमय उभरी झुर्रियों, दाग-धब्बे आदि दूर रहते हैं। चमक एवं सुन्दरता बढ़ती है। काया निरोगी रहती है।

सावधानियाँ :

एक-दो दिन का उपवास तो ठीक है किन्तु अधिक दिनों का उपवास चिकित्सक की देख-रेख में करें।

Wednesday 4 April 2018

कफ ,वात,पित्त प्रकृति वाले व्यकित के लक्षण

कफ ,वात,पित्त प्रकृति वाले व्यकित के लक्षण


 कफ प्रकृति वाले व्यकित के लक्षण

1.  शारीरिक गठन -   सुडौल, चिकना, मोटा शरीर होता है, इन्हें सर्दी कष्ट देती है ।

2. वर्ण - गोरा

3. त्वचा - चिकनी, पानी से गीली हुर्इ सी नम होती है, अंग सुडौल और सुन्दर

4. केश - घने, घुंघराले, काले केश होना ।

5. नाखून - नाखून चिकने 

6. आंखें - सफेद

7. जीभ - सफेद रेग के लेप वाली

8. आवाज - मधुर बोलने वाला 

9. मुंह - मुंह या नाक से बलगम अधिक निकलता है ।

10. स्वाद - मुंह का स्वाद मीठा-मीठा सा रहना, कभी लार का बहना । 

वात,पित्त और काफ

11. भूख - भूख कम लगती है, अल्प भोजन से तृप्ति हो जाती है, मन्दागिन रहती है ।

12. प्यास - प्यास कम लगती है ।

13. मल - सामान्य ठोस मल, मल में चिकनापन या आंव का आना ।

14. मूत्र - सफेद सा, मूत्र की मात्रा अधिक होना, गाढ़ा व चिकना होना ।

15. पसीना - सामान्य पसीना, ठंडा पसीना ।

16. नींद - नींद अधिक आना, आलस्य और सुस्ती आना ।

17. स्वप्न - नदी, तालाब, जलाशय, समुद्र आदि देखना ।

18. चाल - धीमी, स्थिर (एक जैसी) चाल वाला होता है ।

19. पसन्द - सर्दी बुरी लगती है और बहुत कष्ट देती है, धूप और हवा अच्छी लगती है, नम मौसम में भय लगता है,  गरमा गरम भोजन और गर्म पदार्थ प्रिय लगते हैं, गर्म चिकने चरपरे और कड़वे पदार्थों की इच्छा अधिक होती है । 

20. नाड़ी की गति -  मन्द-मन्द (कबूतर या मोर की चाल वाली), कमजोर व कोमल नाड़ी।


वात प्रकृति वाले व्यकित के लक्षण


1.  शारीरिक गठन -   वात प्रकृति का शरीर प्राय: रूखा, फटा-कटा सा दुबला-पतला होता है, इन्हें सर्दी सहन नहीं होती। 

2. वर्ण - अधिकतर काला रंग वाला होता है । 

3. त्वचा - त्वचा रूखी एवं ठण्डी होती है फटती बहुत है पैरों की बिवाइयां फटती हैं हथेलियाँ और होठ फटते हैं, उनमें चीरे आते हैं अंग सख्त व शरीर पर उभरी हुर्इ बहुत सी नसें होती हैं । 

4. केश - बाल रूखे, कड़े, छोटे और कम होना तथा दाढ़ी-मूंछ का रूखा और खुरदरा होना । 

5. नाखून - अंगुलियों के नाखूनों का रूखा और खुरदरा होना । 

6. आंखें - नेत्रों का रंग मैला । 

7. जीभ - मैली 

8. आवाज - कर्कश व भारी, गंभीरता रहित स्वर, अधिक बोलता है । 

9. मुंह - मुंह सूखता है । 

10. स्वाद - मुंह का स्वाद फीका या खराब मालूम होना । 

11. भूख - भूख कभी ज्यादा कभी कम, पाचन क्रिया कभी ठीक रहती है तो कभी कब्ज हो जाती है, विषम अग्नि, वायु बहुत बनती है । 

12. प्यास - कभी कम, कभी ज्यादा । 

13. मल - रूखा, झाग मिला, टूटा हुआ, कम व सख्त, कब्ज की प्रवृत्ति । 

14. मूत्र - मूत्र का पतला जल के समान होना या गंदला होना, मूत्र में रूकावट की शिकायत होना । 

15. पसीना - कम व बिना गन्ध वाला पसीना । 

16. नींद - नींद कम आना, ज्यादा जम्हाइयां आना, सोते समय दांत किटकिटाने वाला । 

17. स्वप्न - आकाश में उड़ने के सपने देखना । 

18. चाल - तेज चलने वाला होता है । 

19. पसन्द - नापसन्द - सर्दी बुरी लगती है, शीतल वस्तुयें अप्रिय लगती हैं, गर्म वस्तुओं की इच्छा अधिक होती है मीठे, खटटे, नमकीन पदार्थ विशेष प्रिय लगते हैं । 

20. नाड़ी की गति -  टेढ़ी-मेढ़ी (सांप की चाल के समान) चाल वाली प्रतीत होती है, तेज और अनियमित नाड़ी 



पित्त प्रकृति वाले व्यकित के लक्षण


1.  शारीरिक गठन -   नाजुक शिथिल शरीर होता है इन्हें गर्मी सहन नहीं होती ।

2. वर्ण - पीला

3. त्वचा -  त्वचा पीली एवं नर्म होती है फुंसियों और तिलों से भरी हुर्इ, अंग शिथिल; हथेलियाँ, होठ, जीभ, कान आदि लाल रहते हैं ।

4. केश - बालों का छोटी उम्र में सफेद होना व झड़ना, रोम बहुत कम होना ।

5. नाखून - नाखून लाल 

6. आंखें - लाल

7. जीभ - लाल

8. आवाज - स्पष्ट, श्रेष्ठ वक्ता

9. मुंह  -   कण्ठ सूखता है ।

10. स्वाद - मुंह का स्वाद कड़वा रहना, कभी-कभी खट्टा होना, मुंह व जीभ में छाले होना ।

11. भूख - भूख अधिक लगती है, बहुत सा भोजन करने वाला होता है, पाचन शक्ति अच्छी होती है ।

12. प्यास - प्यास अधिक लगती है ।

13. मल - मल का अधिक पतला व पीला होना, जलनयुक्त होना, दस्त की प्रवृत्ति ।

14. मूत्र - मूत्र कभी गहरा पीला होना, कभी लाल होना, मूत्र में जलन होना ।

15. पसीना - पसीना बहुत कम आना, गर्म और दुर्गन्धयुक्त पसीना ।

16. नींद - निद्रानाश ।

17. स्वप्न - अग्नि, सोना, बिजली, तारा, सूर्य, चन्द्रमा आदि चमकीले पदार्थ देखना ।

18. चाल - साधारण किन्तु लक्ष्य की ओर अग्रसर चाल वाला होता है ।

19. पसन्द - गर्मी बुरी लगती है और अत्यधिक सताती है, गर्म प्रकृति वाली चीजें पसंद नहीं आती, धूप और आग पसंद नहीं, शीतल वस्तुयें यथा-ठंडा जल, बर्फ, ठण्डे जल से स्नान, फूलमाला आदि प्रिय लगते हैं, कसैले, चरपरे और मीठे पदार्थ प्रिय लगते हैं ।

20. नाड़ी की गति -  कूदती हुर्इ (मेढ़क या कौआ की चाल वाली), उत्तेजित व भारी नाड़ी होना ।



Sunday 1 April 2018

तेजपत्ता के गुण

*तेजपत्ता खाओगे तो इतने लाभ पाओगे कि बस इसके गुण गाओगे*

भारतीय रसोई में खाने के लिए मसालों का इस्तेमाल आम किया जाता है। मसालों से ही हमारे खाने की पहचान होती है। यह खाने का स्वाद तो बढ़ाते ही हैं लेकिन सेहत के लिए भी बहुत गुणकारी होते हैं। इन्हीं में से एक है तेजपत्ता, इसका इस्तेमाल आयुर्वेदिक औषधि के रूप में भी किया जाता है। चावल, बिरयानी,चिकन के अलावा यह और भी बहुत सी सब्जियों के लिए प्रयोग में लाया जाता है। इसके सूखे पत्ते सब्जी में बहुत अच्छी खुश्बू देते हैं। 

*इसमें  81 तत्व पाए जाते है*
इसमें लगभग 81 तत्व पाए जाते हैं जो किसी न किसी रूप में सेहत को फायदा पहुंचाते हैं। कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन,विटामिन ए, सी, सोडियम, पोटेशियम, कैल्शियम, आयरन, मैगनीज, फास्फोरस, जिंक आदि जैसे और भी कई तत्वों से भरपूर यह डायबिटीज,खांसी,जुकाम, जोड़ों के दर्द आदि से छुटकारा पाने में भी कारगर है। 
तो चलिये जानते हैं कि यदि रोज तेजपत्ता खाओगे तो क्या क्या लाभ मिलते हैं ।

 *सर्दी दूर होगी*
सर्दी लग जाने से छींके आना,सिर का भारीपन,गला बैठना, नाक से पानी निकलना, जुकाम आदि जैसी परेशानियां हो जाती है। इसके लिए 10 ग्राम तेजपत्ते को तवे पर सेंक लें। फिर इसका आधा भाग पानी में उबाल कर दूध और चीनी मिलाकर चाय की तरह बना लें। इसका दिन में तीन बार सेवन करें। इससे सर्दी से राहत मिलेगी ।

 *नही आयेगी ज्यादा नींद*
बहुत से लोगों को जरूरत से ज्यादा नींद आती है।। ऐसे में तेजपत्ता को पानी में 6 घंटे के लिए भिगो कर रख दें। सुबह इस पानी का सेवन करें। इससे ज्यादा नींद नहीं आती। यह दिमाग की कोशिकाओं की मरम्मत करता है और थकान को दूर करके ज्यादा नींद आने की परेशानी को दूर करता है ।

*डायबिटीज में लाभकारी*
मधुमेह के मरीजों इसका सेवन करने से फायदा मिलता है। सूखे तेजपत्ते का चूर्ण बना लें। इस चुटकी भर चूर्ण का पानी के साथ सेवन करें। इससे शरीर में शूगर कंट्रोल रहती है। इस प्रयोग को अपनाने से पहले एक बार डॉक्टरी सलाह जरूर लें।

 *खांसी रहेगी दूर*
खांसी से राहत पाने के लिए सूखा तेज पत्ता और छोटी पीपल को समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। फिर आधा चम्मच चूर्ण को 1 चम्मच शहद के साथ मिला कर सेवन कर लें। दिन में तीन बार इसे खाने ले खांसी ठीक हो जाती है।

 *दातों में चमक आयेगी*
दांतों की सफेदी बरकरार रखने के लिए तेज पत्ते से बना मंजन इस्तेमाल करें। सूखे तेज पत्तों को पीसकर आप इसे खुद भी बना सकते हैं। इससे दांत मजबूत होने के साथ-साथ सफेद भी हो जाएंगे। तेजपत्ते के साथ हल्दी चूर्ण और सेंधा नमक मिलाकर प्रयोग किया जाये तो बहुत अच्छे परिणाम मिलते हैं ।

*किडनी स्टोन के लिए है फायदेमंद* 
तेजपत्ता किडनी की पथरी के कारण होने वाली इंफैक्शन को भी दूर करने में बहुत लाभकारी है। इस पत्ते को पानी में उबालकर ठंड़ा करके पीने से भी फायदा मिलता है। यह किडनी को टुकड़े टुकड़े करके निकालने में सहायक होता है ।



लिवर के अचूक उपचार

लिवर / जिगर / यकृत के अचूक उपचार / उपाय

 
वर्तमान समय में जिगर / यकृत / लिवर की समस्या बहुत ही विकराल होती जा रही है । मानव शरीर के पाचन तंत्र में लीवर का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। लिवर हमारे बहुत से अंगों के कार्यों जिसमें भोजन चयापचय, विषाक्त पदार्थों को बाहर निकलना, ऊर्जा का भंडारण, प्रतिरक्षा प्रणाली , और रसायनों का उत्‍पादन आदि में प्रमुख भूमिका निभाता हैं। लेकिन कई बार किसी वायरस, एंटीबायटिक दवाओं , आनुवांशिक रोग, पुराना मलेरिया, ज्वर, अधिक मधपान, अधिक मीठे , अधिक तले भुने पदार्थो का सेवन, दूषित / बासी खान पान, कब्ज आदि से लिवर के ख़राब हो जाता है । कई बार बुखार ठीक होने के बाद भी लिवर ख़राब रहता है या कठोर और पहले से बड़ा हो जाता हैं। इस रोग के घातक रूप ले लेने से लिवर सिरोसिस हो सकता है। लिवर के ख़राब होने में आँखों व चेहरा पीला पड़ने लगता है, जबान सफ़ेद होने लगती है , कमजोरी बनी रहती है, शरीर की नीली नसे दिखाई पड़ती है, मुँह का स्वाद बिगड़ जाता है, कब्ज और गैस की शिकायत रहती है दाहिने कंधे के पीछे दर्द होता है, शौच में आंव / कीचड़ जैसा आने लगता है । 

लिवर के ख़राब होने के लक्षण

* यदि किसी व्यक्ति के मुंह से गंदी बदबू आनी शुरू हो गयी है तो इसका अर्थ है कि उसका लीवर ठीक से कार्य नही कर रहा है । क्योंकि लिवर ख़राब होने से मुंह में अमोनिया ज्यादा रिसता है। 

* यदि किसी व्यक्ति की त्वचा क्षतिग्रस्‍त होने लगे, रूखी बेजान होने लगे , उस पर थकान हावी हो रही है, आँखों के नीचे सूजन अथवा काले धब्बे ज्यादा समय तक नज़र आये तो समझ जाइये कि उसके लिवर में कुछ खराबी हो गयी है । 

* यदि किसी को पानी भी हजम होना मुश्किल हो रहा हो तो इसका अर्थ है कि उसका लीवर बढ़ गया है या उस पर वसा की मात्रा ज्यादा हो गयी है । 

* यदि किसी की त्वचा पर सफेद धब्बे पड़ रहे हो या उसकी त्‍वचा का रंग उड गया है, जबान सफ़ेद होने लगे, शरीर की नीली नसे दिखाई पड़े, दाहिने कंधे के पीछे दर्द होता हो तो उसे अवश्य ही कुशल चिकित्सक से सम्पर्क करना चाहिए क्योंकि अधिक सम्भावना है कि उसका लिवर ख़राब हो गया है । 

* यदि किसी व्यक्ति को लगातार कब्ज और गैस की शिकायत बनी रहती है तो उसे सचेत हो जाना चाहिए कि कहीं उसका लिवर ख़राब तो नहीं हो गया है । 

* यदि किसी व्यक्ति का पेशाब या मल हर रोज़ गहरे रंग का नज़र आये, शौच में आंव / कीचड़ जैसा नज़र आये तो उसका लिवर ख़राब हो सकता है । 

* यदि किसी व्यक्ति की आंखों का सफेद भाग पीला नजर आये , नाखून पीले रंग के दिखने लगे तो उसे पीलिया की शिकायत हो सकती है, उसका लीवर संक्रमित हो सकता है। 

* यदि किसी के मुंह में बार बार कड़ुआहट लगने लगे तो इसका मतलब है कि लिवर ख़राब हो रहा है । क्योंकि लीवर एक एंजाइम पैदा करता है जिसका नाम बाइल होता है जिसका स्वाद बहुत खराब होता है । लिवर में संक्रमण होने की वजह से बाइल मुँह में पहुँचने लगता है । 

* जब पेट अचानक निकलने लगे, पेट में सूजन आ जाये तो इसका मतलब है कि लिवर बड़ा हो गया है , इसे हम अक्‍सर मोटापा समझने लगते है । 

लिवर सिरोसिस, लिवर में सूजन का अचूक उपाय

एक अच्छे पके हुए कागजी नींबू को लेकर उसके दो टुकड़े कर ले। फिर उसमें से बीज निकालकर आधे नींबू के इस तरह से चार भाग करें कि टुकड़े अलग- अलग न हो। फिर एक हिस्से में काली मिर्च का चूर्ण, दूसरे हिस्से में काला अथवा सेंधा नमक, तीसरे में सोंठ का चूर्ण और चौथे में मिश्री का चूर्ण को भर दे। इसको रात में किसी प्लेट में रखकर ढक दे। प्रात: खाली पेट इस नींबू को तवे पर गर्म करके चूस ले और एक घंटे तक कुछ भी ना खाएं । 

इस उपाय से मात्र एक माह में ही लीवर में बहुत ही आराम मिलेगा । इस उपाय को करने के समय पूरे माह चीनी अथवा किसी भी तरह के मीठे का इस्तमाल न करे। रोटी भी कम खाए इसकी जगह सब्जियों और फलो का अधिक से अधिक उपयोग करें । सब्जी में मिर्च मसाला न डालें। टमाटर, पालक, गाजर, बथुआ, करेला, लोकी, आदि शाक-सब्जियां और पपीता, आंवला, जामुन, सेब, आलूबुखारा, लीची आदि फल तथा छाछ आदि का अधिक प्रयोग करें। घी और तली भुनी वस्तुओं का प्रयोग भी कम ही करें। 

लिवर को सही करने के घरेलु उपचार

* लिवर के इलाज में हल्दी बहुत ही उपयोगी साबित होती है। हल्दी में एंटीसेप्टिक गुण मौजूद होते है और या एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करती है। प्रात: अथवा रात को सोने से पहले एक गिलास दूध में एक चम्मच हल्दी मिलाकर पीने से लिवर ठीक रहता है । 

* नित्य सेब के सिरके का सेवन करने से लिवर शीघ्र ठीक हो जाता है । सेब का सिरका, लीवर में मौजूद विषैले पदार्थों को बाहर निकालता है। खाना खाने से पहले सेब के सिरके को पीने से शरीर की चर्बी कम होती है। एक गिलास पानी में एक चम्मच सेब का सिरका और एक चम्मच शहद मिलाकर  दिन में दो से तीन बार लें। 

* यकृत / जिगर / लिवर के संकोचन / लिवर सिरोसिस में नित्य दिन में दो बार 100 -100 ग्राम प्याज खाते रहने से लाभ होता है। 

* जिगर के रोगो में छाछ में हींग, जीरा, काली मिर्च और नमक का तड़का देकर दोपहर के भोजन के बाद सेवन करने से अत्यंत लाभ मिलता है। 

* पानी के साथ सूखे आंवलों का चूर्ण अथवा आंवले का रस 25 ग्राम दिन में तीन बार सेवन करने से लगभग बीस दिन में ही जिगर / यकृत के सारे दोष दूर हो जाते है। 

* सौ ग्राम पानी में आधा निम्बू निचोड़कर उसमें सेंधा अथवा काला नमक डालकर इसे दिन में तीन बार पीने से जिगर की सभी खराबी ठीक होती हैं। 

* गर्मियों में 250 ग्राम प्रतिदिन खाली पेट बढ़िया और पके जामुन खाने से जिगर की खराबी दूर हो जाती है। 

* आंवला विटामिन सी प्रचुर मात्रा में होता है इसका सेवन लीवर की कार्यशीलता को बनाये रखता है। लीवर को सही रखने के लिए नित्य सुबह शाम आँवले का रस , उसका पाउडर अथवा कच्चे आंवले का सेवन करना चाहिए। * पपीता लीवर सिरोसिस में रामबाण का काम करता है । लिवर सिरोसिस में नित्य दो चम्मच पपीता के रस में आधा चम्मच नींबू का रस मिलाकर कम से कम एक माह तक इसका दिन में 3 बार सेवन करें । 

* लीवर की बीमारियों में मुलेठी का इस्‍तेमाल बहुत ही लाभप्रद माना जाता है। मुलेठी की जड़ का पाउडर बनाकर इसे उबलते पानी में डालें । फिर ठंड़ा होने पर छान कर इसे दिन में दो बार पिएं, शीघ्र ही आराम मिलेगा । 

* लिवर की परेशानियों में अलसी के बीज का सेवन करना चाहिए । अलसी के उपयोग से लीवर का संक्रमण उसका तनाव कम होता है। अलसी को दरदरा पीस कर सलाद में या आटे में मिलकर इस्तेमाल करें अथवा उसे ब्रैड पर लगाकर खयेन।अलसी से लिवर के समस्त रोग दूर होते है । 

* पालक और गाजर के रस को मिलकर प्रतिदिन सुबह शाम उसका सेवन करने से लीवर सिरोसिस में काफी लाभ मिलता है। पालक और गाजर का रस लिवर को प्राकृतिक तरीके से ठीक करता है ।