Wednesday, 23 June 2021
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Tuesday, 15 June 2021
स्तन कैंसर का एक्यूप्रेशर ट्रीटमेंट.
स्तन कैंसर का एक्यूप्रेशर ट्रीटमेंट.
Acupressure treatment of Breast Cancer.
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परिचय-
स्तन कैंसर स्त्रियों का एक बहुत ही ज्यादा कष्टदायक रोग होता है। इस रोग के कारण स्त्री के स्तनों में बहुत तेज दर्द होता है तथा स्तनों से पीब निकलने लगती है।
लक्षण-
इस रोग के हो जाने पर स्तन सख्त तथा अनियमित आकार की गांठ के रूप में हो जाते हैं जिन्हें छूने पर बहुत तेज दर्द होने लगता है। इस प्रकार की गांठ स्तनों के किसी भी भाग में उभर आती है। जब इस रोग की शुरुआत होती है तो ये गांठ इधर-उधर सरकती भी रहती हैं।
जब स्तनों में होने वाली गांठ बड़ी हो जाती है तो यह अपने ऊपर की त्वचा को अन्दर की ओर खींच लेती है जिसके कारण स्तन के अन्दर की ओर एक गड्ढा जैसा बन जाता है। यह गड्ढा दूध का संचार करने वाली नलिकाओं को प्रभावित करता है जिसके कारण यह सिकुड़ जाती हैं और निपल पिचक जाते हैं। जैसे-जैसे गांठ बड़ी होती जाती है वैसे-वैसे ही स्तन की ऊपर की त्वचा से भी चिपक जाती है जिसके कारण स्तन की त्वचा में जलन होने लगती है। कुछ दिनों में इस गांठ के अन्दर पीब बनने लगती है। जब स्त्री के निप्पलों को दबाते हैं तो उसमें से पीब के समान दूध निकलने लगता है। यह गांठ बढ़ते-बढ़ते स्त्रियों के बगलों में पाई जाने वाली लसीका ग्रन्थियों तक भी फैल सकती है। जब इस रोग की शुरुआत होती है तो उस समय इसका उपचार करना बहुत जरूरी हो जाता है यदि इस रोग को बढ़ने से न रोका जाए तो यह रोग पूरे शरीर को प्रभावित कर सकता है।
कारण-
जब स्तन में गांठ बन जाती है तो सबसे पहले यह पता लगाना चाहिए कि गांठ ज्यादा खतरनाक तो नहीं है। स्तन कैंसर होने की आशंका काफी हद तक वातावरण और जीवनशैली पर निर्भर करती है। स्त्रियों को यह रोग भोजन की एलर्जी के कारण भी हो सकता है। इस रोग के होने में आनुवंशिकता भी एक मुख्य भूमिका अदा करती है। यह रोग एक स्त्री से दूसरी स्त्री को भी हो सकता है। स्त्रियों के स्तन में कैंसर रोग के लिए गर्भनिरोधक गोलियों और जीवन परिवर्तन लक्षणों के उपचार के लिए दी जाने वाली HRT को जिम्मेदार माना जाता है। कोई स्त्री जितनी जल्दी मां बन जाती है उसको स्तन कैंसर होने की आशंका लगभग उतनी ही कम होती है।
एक्यूप्रेशर चिकित्सा के द्वारा स्त्रियों के स्तन कैंसर का उपचार-
जब किसी स्त्री के स्तन में गांठ सी बनी हुई दिखाई देती है तो तुरंत ही जांच करानी चाहिए कि यह गांठ ज्यादा खतरनाक तो नहीं है। यदि गांठ ज्यादा खतरनाक हो तो भी इसका इलाज किया जा सकता है। यह रोग एक बार ठीक होकर दुबारा भी हो सकता है इसलिए इस रोग का इलाज सही तरीके से कराना चाहिए। स्तन कैंसर का उपचार कराने के लिए सबसे पहले स्त्रियों को अपने स्तनों की जांच करानी चाहिए।
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स्त्रियों के स्तनों की जांच जब माहवारी आये, उसके बाद करनी चाहिए। यह जांच हर महीने तथा एक विशेष समय में करनी चाहिए। यदि स्त्रियों को अपने स्तन में भारीपन महसूस होता हो तो चिन्ता न करें। स्त्रियों को यह पता लगाना चाहिए कि उसके दोनों स्तन एक ही समान है। यदि जांच कराते दौरान स्त्री को लगे कि उसका एक स्तन भारी है तो स्त्री को दूसरे स्तनों पर भी हाथ फेरकर देखना चाहिए कि कहीं दूसरा स्तन भी तो भारी नहीं है। यदि दोनों स्तनों में कुछ असमानता नजर आती है तो घबराएं नहीं। स्तन कैंसर के रोगी को डॉक्टर से उचित सलाह लेनी चाहिए और बिल्कुल लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए क्योंकि यह रोग बढ़कर अधिक खतरनाक बन सकता है।
स्तनों की निम्नलिखित तरीकों द्वारा जांच की जा सकती है-
स्त्रियों को अपनी स्तनों की जांच करने के लिए सबसे पहले आईने के सामने खड़े हो जाना चाहिए और अपने दोनों हाथों को बगल में लटका लेना चाहिए और देखना चाहिए कि दोनों स्तन दिखने में असामान्य तो नहीं है, स्तनों में डिम्पल या सिकुड़न आदि तो नहीं है या फिर स्तनों की त्वचा या बनावट में कोई फर्क तो नहीं है।
आईने के सामने खड़े होकर स्त्रियों को अपने हाथ सिर के ऊपर रख लेने चाहिए और अपने आप को अलग-अलग कोणों में देखना चाहिए कि स्तनों में कोई विशेष परिवर्तन तो नहीं हो गया है तथा फिर दायें-बायें घूमकर देखना चाहिए और पता लगाना चाहिए कि दोनों स्तनों से कोई स्राव तो नहीं हो रहा है।
स्तनों की जांच करते दौरान यह पता लगाना चाहिए कि निप्पल के चारों ओर के क्षेत्र में कहीं गांठ तो नहीं है।
आईने के सामने खड़े होकर अपने हाथ को ऊपर-नीचे करके देखना चाहिए कि स्तन का कोई भाग सूज तो नहीं रहा है।
स्त्रियों को पलंग पर लेटकर एक तकिया सिर के नीचे रख लेना चाहिए। फिर एक तकिया बाएं कंधे के नीचे रख लेना चाहिए। इसके बाद अपने बाएं हाथ को सिर के नीचे की ओर रख लेना चाहिए और दाहिने हाथ से बाएं स्तन को दबाकर जांच करनी चाहिए कि कहीं उनमें गांठ या सूजन तो नहीं है।
स्त्रियों को अपने बगल में हाथ फिराकर गांठे पकड़ने की कोशिश करनी चाहिए। फिर यही क्रिया दोनों स्तनों पर करनी चाहिए। इस क्रिया में बाएं हाथ का प्रयोग करना चाहिए।
एक्यूप्रेशर चिकित्सा-
चित्र में दिए गए एक्यूप्रेशर बिन्दु के अनुसार रोगी के शरीर पर दबाव देकर स्त्रियों के स्तन कैंसर का उपचार किया जा सकता है। रोगी स्त्री को अपना इलाज किसी अच्छे एक्यूप्रेशर चिकित्सक की देख-रेख में करना चाहिए क्योंकि एक्यूप्रेशर चिकित्सक को सही दबाव देने का अनुभव होता है और वह सही तरीके से स्त्रियों के स्तन कैंसर का उपचार कर सकता है।
जब स्त्रियों के स्तन में गांठ बन जाती है तो स्त्रियों के स्तन के निप्पल के आस-पास सीबेशस ग्रन्थि अर्थात दुग्ध नलिका में द्रव्य के समान थैली बन जाती है। इस थैली को स्तन की गांठ कहते हैं। जब स्त्रियों की सीबेशस ग्रन्थि में जाने वाली कोई वाहिका अवरूद्ध हो जाती है तो उनके स्तन में गांठ सी बन जाती है। इन गांठों के कारण स्तन में थक्का या उभार हो जाता है।
उपचार-
अगर किसी स्त्री के स्तन में गांठ बन जाती है तो उसको तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए और डॉक्टर की उचित सलाह के अनुसार अपना उपचार कराना चाहिए। हो सकता है कि कभी स्तन के अन्दर से सुईयों के द्वारा थैली के अन्दर के अवरूद्ध द्रव्य को बाहर खींचने की जरूरत पड़ जाए। ऐसा करने से यह पता चल जाता है कि गांठ ज्यादा हानिकारक तो नहीं है।
(प्रतिबिम्ब बिन्दु पर दबाव डालकर एक्यूप्रेशर चिकित्सा द्वारा इलाज करने का चित्र)
चित्रों के अनुसार एक्यूप्रेशर बिन्दु पर दबाव देने से स्तन की गांठ जल्दी ठीक हो जाती है। स्त्रियों को अपने स्तन की गांठ का उपचार करने के लिए किसी अच्छे एक्यूप्रेशर चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए क्योंकि एक्यूप्रेशर चिकित्सक को सही तरह से दबाव देने का अनुभव होता है और वह इस रोग का उपचार सही तरीके से कर सकता है।
Breast Cancer
introduction-
Breast cancer is a very painful disease of women. Due to this disease, there is a lot of pain in the breasts of the woman and pus starts coming out of the breasts.
symptoms-
Due to this disease, the breasts become in the form of hard and irregular shaped lumps, which feel very painful on touching. This type of lump emerges in any part of the breast. When this disease starts, these lumps keep moving here and there.
When the lump in the breast becomes large, it pulls the skin above it inwards, due to which a pit is formed on the inside of the breast. This pit affects the ducts that carry milk, due to which they shrink and the nipples become pinched. As the lump gets bigger, it also sticks to the skin above the breast, due to which the skin of the breast starts burning. Within a few days, pus begins to form inside this lump. When a woman's nipples are pressed, milk starts coming out of it like pus. This lump can also spread to the lymph glands found in the armpits of the growing women. When this disease starts, it becomes very important to treat it at that time, if this disease is not stopped from progressing, then this disease can affect the whole body.
cause-
When a lump is formed in the breast, first of all it should be found out whether the lump is not very dangerous. The risk of developing breast cancer largely depends on the environment and lifestyle. In women, this disease can also be due to food allergies. Heredity also plays a major role in the occurrence of this disease. This disease can also be passed from one woman to another. Contraceptive pills for breast cancer and HRT given to treat life-changing symptoms are believed to be responsible. The sooner a woman becomes a mother, the less likely she is to get breast cancer.
Treatment of breast cancer in women by acupressure therapy-
When a lump is seen in the breast of a woman, then it should be checked immediately that this lump is not very dangerous. Even if the lump is more dangerous, it can be treated. This disease can be cured once and it can happen again, so this disease should be treated properly. Before getting treated for breast cancer, women should first get their breasts examined.
The breasts of women should be examined after menstruation comes. This check should be done every month and at a specific time. Don't worry if women feel heaviness in their breasts. Women should find out that both her breasts are the same. If a woman feels that one of her breasts is heavy during the test, then the woman should also look at the other breasts to see if the other breast is also heavy. If there is some disparity in both the breasts then do not panic. The patient of breast cancer should take proper advice from the doctor and should not be careless at all as this disease can grow and become more dangerous.
Breasts can be examined by the following methods-
To examine their breasts, women should first stand in front of the mirror and hang both their hands on the side and see if both the breasts are abnormal in appearance, there is no dimple or shrinkage in the breasts etc. Or there is no difference in the skin or texture of the breasts.
Standing in front of the mirror, women should put their hands above the head and look at themselves from different angles to see if there is any significant change in the breasts and then turn left and right and see if There is no discharge from both the breasts.
While examining the breasts, it should be found that there is no lump in the area around the nipple.
Standing in front of the mirror, move your hand up and down to see if any part of the breast is swollen.
Ladies should lie on the bed and keep a pillow under the head. Then a pillow should be placed under the left shoulder. After this, your left hand should be placed under the head and by pressing the left breast with the right hand, check if there is any lump or swelling in them.
Women should try to hold the knots by moving their hands next to them. Then the same action should be done on both the breasts. The left hand should be used in this action.
acupressure therapy-
According to the acupressure point given in the picture, the treatment of breast cancer in women can be done by applying pressure on the patient's body. A patient woman should do her treatment under the supervision of a good acupressure doctor because acupressure therapist has experience in giving right pressure and can treat breast cancer in women in the right way.
When a lump is formed in the breast of women, then a sac is formed around the nipple of the woman's breast, that is, a fluid-like sac is formed in the milk duct. This sac is called breast lump. When a vessel going to the sebaceous gland of women gets blocked, then a lump is formed in their breast. These lumps cause a clot or bulge in the breast.
the treatment-
If a woman has a lump in her breast, then she should immediately go to the doctor and get her treatment done according to the proper advice of the doctor. There may be a need to pull out the blocked fluid inside the sac with needles from inside the breast. By doing this it is known that the lump is not very harmful.
(Picture of acupressure therapy by applying pressure to the reflex point)
According to the pictures, by applying pressure on the acupressure point, breast lump gets cured quickly. Women should consult a good acupressure doctor to treat their breast lump because acupressure therapist has experience in applying pressure properly and can treat this disease properly.
Monday, 14 June 2021
उच्च रक्तचाप के लक्षण व उपचार
Saturday, 12 June 2021
Irritable Bowel Syndrome (IBS) एक्यूप्रेशर पॉइंट्स
Irritable Bowel Syndrome (IBS)
असामान्य संवेदनशील आंत संलक्षण
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अक्सर पेट में ऐंठन, डायरिया एवं गैस से पेट का फूल जाना irritable bowel syndrome कहलाता है। It is also called spastic colon or irritable colon. मनोवैज्ञानिक एवं अन्य प्रकार के निम्नलिखित संलक्षण (syndromes) होने पर उसे irritable bowel syndrome कहते हैं।
Main Symptoms मुख्य लक्षण:
Intermittent abdominal cramps ठहर ठहर कर पेट में बांयटे आना
Spell of diarrhoea of constipation कुछ दिन डायरिया तथा कुछ दिन कब्ज हो जाना।
Bloating आमाशय में वायु भर जाना
Excessive mucus in bowel movement but there is no blood in the stool. After a bowel movement there is a feeling that the rectum is not fully emptied.
Abdominal pain can range from mild to intense. It may temporarily subside after having a bowel movement or passing wind.
Nausea, dizziness & fainting may occur in severe case
तीव्र रोग में मिचली, चक्कर एवं बेहोशी तक आ सकती है।
Causes of irritable bowel syndrome:
1) Disturbance in the function of the nerves or muscle in the gastrointestinal
system may cause irritable bowel syndrome.
2) Abnormal processing of gastro intestinal sensation by the
Diagnosis of irritable bowel syndrome:
There is no test for irritable bowel syndrome
There are a specific set of criteria to identify irritable bowel syndrome.
1) There must be abdominal pain or discomfort.
ii) The pain or discomfort is relieved with bowel movement.
iii) निम्नलिखित में से अगर तीन लक्षण रोगी को हैं तो इससे पता चलता है कि उसको irritable bowel syndrome हुआ है।
a) Altered bowel movement frequency. शौच को बारम्बारता में परिवर्तन होते रहना
b) A change in bowel movement forms (hard or loose and watery). मल के प्रकार में परिवर्तन होते रहना (कड़ा या ढीला और पानी जैसा ।।
C) Altered passage of bowel movement.
शौच के निकलने में परिवर्तन होते रहना।
Straining मल त्यागते समय कांखना
urgency मल त्यागने की जल्दी
Or feeling of incomplete evacuation
ऐसा लगना कि पूरा मल नहीं निकला है।
d) Passage of mucus and or bloating. मल के साथ श्लेष्मा निकलना या पेट में गैस भर जाना
e) Sensation of having a distended abdomen. पेट फूला लगने की अनुभूति होते रहना
Precautions सावधानियों:
1) Certain foods or drinks trigger the irritable bowel syndrome. Avoid them
2) Common triggers are:
Caffeine
Sorbitol containing gums & beverages Flatulence producing vegetables such as:
Beans Cabbage
Broccoli
Dairy products Alcohol
Raw fruits
Fatty foods
Adding fibre to increase the stool's bulk and speed, may help relieve constipation and abdominal pain.
Fibre should be introduced gradually because it can aggrevate symptoms before starting to relieve them. Hence, gradually rease the fibre rich foods in your diet.
4) Ginger (अदरक) & peppermint oil are widely used in India to ease gastrointestinal discomfort.
Treatment:
Li 4, 9, St 25, 36, Sp 9, CV 6, 12, UB 23
मधुमेह के घरेलू उपचार
मधुमेह के घरेलू उपचार
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बदलता परिवेश और रहन-सहन शहर में मधुमेह के मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा कर रहा है। खान-पान पर नियंत्रण न होना भी इसके लिए जिम्मेदार है। डायबिटीज के मरीज को सिरदर्द, थकान जैसी समस्याएं हमेशा बनी रहती हैं। मधुमेह में खून में शुगर की मात्रा बढ जाती है। वैसे इसका कोई स्थायी इलाज नहीं है। परंतु जीवनशैली में बदलाव, शिक्षा तथा खान-पान की आदतों में सुधार द्वारा रोग को पूरी तरह नियंत्रित किया जा सकता है।
मधुमेह लक्षण :
1. बार-बार पेशाब आना।
2. बहुत ज्यादा प्यास लगना।
3. बहुत पानी पीने के बाद भी गला सूखना।
4. खाना खाने के बाद भी बहुत भूख लगना।
5. मितली होना और कभी-कभी उल्टी होना।
6. हाथ-पैर में अकड़न और शरीर में झंझनाहट होना।
7. हर समय कमजोरी और थकान की शिकायत होना।
8. आंखों से धुंधलापन होना।
9. त्वचा या मूत्रमार्ग में संक्रमण।
10. त्वचा में रूखापन आना।
11. चिड़चिड़ापन।
12. सिरदर्द।
13. शरीर का तापमान कम होना।
14. मांसपेशियों में दर्द।
15. वजन में कमी होना।
यहाँ मधुमेह को नियंत्रण करने के हम कुछ आसन से घरेलू उपाय बता रहे है :-
*तुलसी के पत्तों में ऐन्टीआक्सिडन्ट और ज़रूरी तेल होते हैं जो इनसुलिन के लिये सहायक होते है । इसलिए शुगर लेवल को कम करने के लिए दो से तीन तुलसी के पत्ते को प्रतिदिन खाली पेट लें, या एक टेबलस्पून तुलसी के पत्ते का जूस लें।
*10 मिग्रा आंवले के जूस को 2 ग्राम हल्दी के पावडर में मिला लीजिए। इस घोल को दिन में दो बार लीजिए। इससे खून में शुगर की मात्रा नियंत्रित होती है।
*काले जामुन डायबिटीज के मरीजों के लिए अचूक औषधि मानी जाती है। मधुमेह के रोगियों को काले नमक के साथ जामुन खाना चाहिए। इससे खून में शुगर की मात्रा नियंत्रित होती है।
*लगभग एक महीने के लिए अपने रोज़ के आहार में एक ग्राम दालचीनी का इस्तेमाल करें, इससे ब्लड शुगर लेवल को कम करने के साथ वजन को भी नियंत्रण करने में मदद मिलेगी।
*करेले को मधुमेह की औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसका कड़वा रस शुगर की मात्रा कम करता है।अत: इसका रस रोज पीना चाहिए। उबले करेले के पानी से मधुमेह को शीघ्र स्थाई रूप से समाप्त किया जा सकता है।
*मधुमेह के उपचार के लिए मैथीदाने का बहुत महत्व है, इससे पुराना मधुमेह भी ठीक हो जाता है। मैथीदानों का चूर्ण नित्य प्रातः खाली पेट दो टी-स्पून पानी के साथ लेना चाहिए ।
*काँच या चीनी मिट्टी के बर्तन में 5-6 भिंडियाँ काटकर रात को गला दीजिए, सुबह इस पानी को छानकर पी लीजिए।
*मधुमेह मरीजो को नियमित रूप से दो चम्मच नीम और चार चम्मच केले के पत्ते के रस को मिलाकर पीना चाहिए।
*ग्रीन टी भी मधुमेह मे बहुत फायदेमंद मानी । जाती है ग्रीन टी में पॉलीफिनोल्स होते हैं जो एक मज़बूत एंटी-ऑक्सीडेंट और हाइपो-ग्लाइसेमिक तत्व हैं, शरीर इन्सुलिन का सही तरह से इस्तेमाल कर पाता है।
*सहजन के पत्तों में दूध की तुलना में चार गुना कैलशियम और दुगना प्रोटीन पाया जाता है। मधुमेह में इन पत्तों के सेवन से भोजन के पाचन और रक्तचाप को कम करने में मदद मिलती है। इसके नियमित सेवन से भी लाभ प्राप्त होता है ।
*एक टमाटर, एक खीरा और एक करेला को मिलाकर जूस निकाल लीजिए। इस जूस को हर रोज सुबह-सुबह खाली पेट लीजिए। इससे डायबिटीज में बहुत फायदा होता है।
*गेहूं के पौधों में रोगनाशक गुण होते हैं। गेहूं के छोटे-छोटे पौधों से रस निकालकर प्रतिदिन सेवन करने से भी मुधमेह नियंत्रण में रहता है।
*मधुमेह के मरीजों को भूख से थोड़ा कम तथा हल्का भोजन लेने की सलाह दी जाती है। ऐसे में खीरा नींबू निचोड़कर खाकर भूख मिटाना चाहिए।
*मधुमेह उपचार मे शलजम का भी बहुत महत्व है । शलजम के प्रयोग से भी रक्त में स्थित शर्करा की मात्रा कम होने लगती है। इसके अतिरिक्त मधुमेह के रोगी को तरोई, लौकी, परवल, पालक, पपीता आदि का प्रयोग भी ज्यादा करना चाहिए।
*6 बेल पत्र , 6 नीम के पत्ते, 6 तुलसी के पत्ते, 6 बैगनबेलिया के हरे पत्ते, 3 साबुत काली मिर्च ताज़ी पत्तियाँ पीसकर खाली पेट, पानी के साथ लें और सेवन के बाद कम से कम आधा घंटा और कुछ न खाएं , इसके नियमित सेवन से भी शुगर सामान्य हो जाती है ।