कल स्वस्थ रहने के लिए हमारी भावनाएं हमारी किस तरह मदद करती हैं इसके बारे में बताया था। आज उसी चर्चा को आगे की ओर ले जाते हैं।
एक नकारात्मक विचार आपके शरीर पर प्रभाव डाल सकता है और शरीर के अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है। यह किस तरह होता है इस को समझेंगे पर उसके पहले नकारात्मक विचार किया होता है उसके बारे में जानेंगे।
वास्तव में नकारात्मक विचार गलत प्रतिक्रिया होती है। जब कोई व्यक्ति कुछ कहता है और आप उस पर बिना सोचे समझे और अविश्वासकरते हैं तो यह नकारात्मकता है। मतलब अगर कोई व्यक्ति कुछ कहे तो आपको उसे सुनना है समझना है उसके बाद हां या ना में जवाब देना। पर अगर आप सुनते हैं समझते हैं लेकिन उसके पहले ही अपना जवाब तैयार रखते हैं तो यह नकारात्मकता है। अगर आप अपने शब्दों का चुनाव करते समय क्या जवाब देते समय ना नहीं जैसे शब्द शुरू में ही रखते हैं तो यह भी नकारात्मकता है। किसी व्यक्ति पर भरोसा ना करना भी नकारात्मकता है। जरूरत से ज्यादा भरोसा करना भी मूर्खता कहलाए कहलाएगी।
नकारात्मक विचार की कई सारी कड़ियां हैं आज मैं अवसाद के बारे में विशेष रुप से बताना चाहता हूं। अवसाद एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति कुछ खास संकीर्ण दायरे में ही सोचता है और नकारात्मक सोचता है। व्यक्ति का दायरा संकीर्ण हो जाता है और व्यवहार भी संकरण हो जाता है। आप इसे स्वार्थ के रूप में भी देख सकते हैं।
अवसाद डिप्रेशन अभी के समय में सामान्य शब्द है। डिप्रेशन का शरीर पर प्रभाव जानने का प्रयास करते हैं।
डिप्रेशन के कारण फेफड़े सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। फेफड़े जब प्रभावित होते हैं तो इससे ऊर्जा जिससे एक्यूप्रेशर में की कहते हैं प्रभावित होती है। यह कि पूरे शरीर में दौड़ती है और हर जगह इसका प्रभाव होता है। फेफड़ों में की की कमी से हर अंग प्रभावित होते हैं। सबसे पहले तो जो प्रभावित होने वाला अंग है वह हृदय है। हृदय से रक्त फेफड़ों में जाता है और वहां उस में ऊर्जा भरी जाती है। इसी रक्त से फेफड़ों का पोषण भी होता है। जब फेफड़ों में ऊर्जा की कमी हो जाती है तो हृदय को भी ऊर्जा नहीं मिल पाती है। इससे हृदय में रक्त की गति कम हो जाती है और वहां ठहर जाता है। इसे हृदय में ब्लड स्टटीेस हो ना कहेंगे। इससे आपकी धड़कन बढ़ जाती है छाती में दर्द उत्पन्न हो जाता है और शरीर में कालापन बढ़ जाता है। इससे फेफड़ो को भी रक्त मिलना कम हो जाता है और इस कारण उसकी भी ऊर्जा कम होने लगती है। इससे फेफड़े कम काम करते हैं।
लीवर में खून जमा होता है और जब इसमें फेफड़ों से ऊर्जा मिलती है तो यह शरीर के अन्य हिस्सों तक जाता है। फेफड़ों से जब इसे ऊर्जा मिलने बंद हो जाती है या कम हो जाती है तो इसमें भी खून रुक जाता है जमा हो जाता है। लीवर में भी उर्जा होती है और यह उर्जा शरीर में हर तरह के गति को कंट्रोल करती है। जब फेफड़ों से लिवर को ऊर्जा कम मिलती है तो लीवर से रक्त और ऊर्जा का प्रवाह भी कम हो जाता है। इस तरह से फेफड़े और लीवर की ऊर्जा जब एक साथ कम हो जाती है तो एक नई तरह की नकरात्मक उर्जा उत्पन्न होती है जिसे रिबेल की कहते हैं। रिबेल की के कारण कफ और अस्थमा उत्पन्न होता है। लंबा समय तक अगर ऐसा चला तो लिवर गर्म हो जाता है और ज्यादा गर्म होने पर फेफड़ों को भी छती पहुंचाता है।
शरीर में तिल्ली का बहुत ही महत्वपूर्ण रोल है। भोजन को एसेंस के रूप में बदलना और उसे शरीर में भेजने का काम तील्ली करती है। भोजन से एसेंस निकालकर फेफड़ों तक भेजती है जहां ऊर्जा और रक्त के साथ मिलकर यह पूरे शरीर में फैल जाती है। तिल्ली सही रूप से काम करें इसके लिए ऊर्जा की जरूरत होती है और यह फेफड़ों से मिलती है। ज्यादा नकारात्मक सोच ने से या अवसाद से जब फेफड़े प्रभावित होते हैं उसकी ऊर्जा प्रभावित होती है तो तील्ली को भी कम ऊर्जा प्राप्त होती है जिस कारण इसके फंक्शन में कमी आती है। यह तरल पदार्थों को कहीं भेज नहीं पाता है और भेजने की शक्ति इसमें नहीं रह पाती है जिस कारण यह तरल पदार्थ किसी जगह रुक जाते हैं विशेष तौर पर इस स्प्लीन और फेफड़ों के आस पास। इसे ही सूजन या एडिमा कहते हैं।
किडनी पर अवसादका बहुत ही बुरा प्रभाव होता है और सबसे ज्यादा प्रभाव होता है। फेफड़ों से तरल पदार्थ और ऊर्जा किडनी में आती है। किडनी इसी ऊर्जा का प्रयोग करके इसी तरल को गर्म करती है और फिर से फेफड़ों को भेजती है। इस गर्म तरल से फेफड़ों का पोषण होता है। जब फेफड़ों की ऊर्जा कमजोर होती है तो किडनी को तरल और कि नहीं भेज पाता है जिसके कारण किडनी में तरल की कमी होती है। इस कमी के कारण यूरिन रिटेंशन उत्पन्न होता है। यूरिन कम होना दिक्कत से होना या फिर एक दम नहीं होना यूरिन रिटेंशन है।
इस तरफ देख सकते हैं कि एक नकारात्मक विचार आपके शरीर पर क्या क्या बीमारी उत्पन्न कर सकता है। विचार कई तरह के हैं पर आज अवसाद पर विशेष रुप से चर्चा हुई। विषय से संबंधित कोई भी प्रतिक्रिया का स्वागत है।
Hr. deepak raj mirdha
yog teacher , Acupressure therapist and blogger
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