Saturday 6 January 2018

हमेशा स्वस्थ रहने के उपाय।



स्वस्थ रहना हमेशा से एक बड़ी बात रही है इसके बड़े कारण रहे हैं। आज कल की चर्चा को आगे बढ़ाते हैं और स्वस्थ रहने के सबसे बेसिक नियम को जानते हैं। कोई भी व्यक्ति बीमार तभी पड़ता है जब उसके इमोशन में बदलाव आता है या इमोशन में गलतियां होती हैं। बीमारियां तीन तरह की होती है पहली बीमारी एक्सीडेंटल है दूसरी बीमारी प्रीनेटल है तीसरी बीमारी पोस्ट नेटल है।

पहले बीमारी एक्सीडेंटल है मतलब ऐसी बीमारी जो एक्सीडेंट से प्राप्त हुई है दुर्घटना से प्राप्त हुई है। ऐसे बीमारियों से बचा तो जा सकता है लेकिन अधिकतर समय लोग बच नहीं पाते हैं। तो प्रिकॉशन के रूप में आप जागरुक रहकर दुर्घटनाओं से बच सकते हैं।

दूसरी बीमारी प्रीनेटल है। यह से बीमारियां हैं जो जन्म से पहले ही निर्धारित हो चुकी हैं और खानदान में किसी को पहले से है। लंबाई कम होना एक उदाहरण है रंग काला होना या ज्यादा गोरा होना ऐसी बहुत सारी बीमारियां हैं जो वंश के द्वारा प्राप्त होती है यह बीमारियां किडनी के द्वारा कंट्रोल होती हैं। तो किडनी मजबूत रहेगी तो यह बीमारियां अपना प्रभाव बड़ा नहीं पाएंगे। किडनी को स्वस्थ रखने के लिए डर से दूरी बनाए। बहुत ज्यादा डर किडनी को कमजोर करता है तो बहुत कम डर किडनी को ओवर एक्टिव बनाता है। तो डर या नहीं और अनुशासन का पालन करें आयुर्वेद में यम नियम के द्वारा इस चीज को बताया गया है। अष्टांग योग में भी यम नियम के द्वारा इस चीज को बताया गया है। एक्यूप्रेशर के सिद्धांतों में इसे एसेंस के द्वारा समझाएं गया है। किडनी एसेंस इन चीजों को कंट्रोल करती है और किडनी को मजबूत रखना होता है।

इसके बाद तीसरी बीमारी पोस्ट नेटल है। मतलब ऐसी बीमारियां जो जन्म के बाद उत्पन्न होती हैं और जिनका जन्म के पूर्व कोई लिंक नहीं होता है पोस्ट नेटल डिजीज कहलाती है। एक्वायर डिजीज भी कहते हैं। ऐसी कोई भी बीमारी जो जन्म के बाद उत्पन्न होती है उसका मुख्य कारण सांस और भोजन है। भोजन चाहे वह तरल हो या ठोस हो उसका प्रोसेस  spleen के द्वारा होता है। सही भोजन के तरीके और सही भोजन के चुनाव के द्वारा इस को को मजबूत कर सकते हैं। साथी भोजन करने के सही तरीके से आप ईसको मजबूत कीजिएगा और इसी जीवन में होने वाली सभी बीमारियों को रोक सकते हैं। इस को मजबूत रखने के लिए आपको चिंता से दूरी बनानी पड़ेगी। इस तरह से शरीर में किसी भी बीमारी का होना पेट पर निर्भर है और पेट का स्वस्थ होना इस पर निर्भर है कि हम लोग चिंता किस स्तर पर करते हैं। चिंता का नहीं होना और चिंता का ज्यादा होना दोनों ही को प्रभावित करता है। तो चिंता किया भावना कंट्रोल में रहे तो पेट में कोई समस्या नहीं होगी।
हम लोग सांस के द्वारा हवा अंदर की ओर खींचते हैं इससे जो ऊर्जा प्राप्त होती है वह भोजन के साथ मिलकर पूरे शरीर में फैलती है। घर या ऊर्जा भोजन में नहीं मिलेगी तो यह भोजन पेट में ही रखा हुआ सर जाएगा और बीमारियां उत्पन्न करेगा।  ऊर्जा भोजन में नहीं मिलेगी तो यह भोजन पेट में ही रखा हुआ सर जाएगा और बीमारियां उत्पन्न करेगा । यह उर्जा शरीर में आते रहे इसके लिए फेफड़ों को स्वस्थ रहना जरूरी है। सही तरीके से सांस लेने का एक मेथड है जिसे प्राणायाम करते हैं। प्राणायाम करके आप फेफड़ों को तो मजबूत करते ही हैं शरीर में ऊर्जा के प्रवाह को निश्चित करते हैं। फेफड़े कमजोर होते हैं जब आपकी भावनाएं इस एक कमजोर करती हैं। अवसाद डिप्रेशन फेफड़ों को कमजोर करती है। डिप्रेशन फेफड़ों को कमजोर करती है साथ में कब्ज भी उत्पन्न करती है और शरीर में किस तत्व ठहर जाते हैं बाहर नहीं निकल पाते हैं। अवसाद का मतलब है किसी एक बिंदु पर बार बार सोचना और दुख प्राप्त करना। यह एक तरह का स्वार्थी व्यवहार भी है। जिन व्यक्तियों को अवसाद होगा वह विस्तृत और ब्रॉड लेवल पर विचार नहीं रख पाएंगे। उनकी सोच संकरण हो जाएगी और निश्चित बिंदुओं पर ही उनका ध्यान घूमता रहेगा। तो समाज के बारे में सोसाइटी के बारे में वह कुछ नहीं सोच पायेगा। प्रसाद से दूर रहें और इसके लिए आपको अपनी सोच का दायरा विस्तृत करना होगा। केवल अपने बारे में ना सोच कर बाकी सभी के लिए भी सोचना होगा तब आप डिप्रेशन से बाहर हो जाएगा और फेफड़े भी ताकतवर होंगे। फेफड़ों को ताकत मिलेगी जो भोजन के साथ मिलकर पूरे शरीर का पोषण करेगी।
स्त्री और पुरुष की बीमारियां अलग-अलग होती हैं इस पर भी विचार करना चाहिए। पुरुषों की बीमारी मुख्य रूप से किडनी और दिल की बीमारी होती है। या फिर ऊपर बताए गए बीमारियां होती हैं। पुरुषों को चाहिए कि वह अनुशासित रहें और डरे नहीं। अनुशासन हीनता और डर दोनों मिलकर कितने को कमजोर करते हैं और यही बीमारी की जड़ है पुरुषों की।
स्त्री की बीमारियां मुख्य रूप से हार्मोन के कारण होती हैं। हार्मोन रक्त के द्वारा संचालित होता है और रक्त हृदय और लीवर के द्वारा कंट्रोल होता है। शरीर में तिल्ली रक्त बनाती है कृपया उसे शरीर में फैलाता है और लिवर उस को स्टोर करके मैनेज करता है। जिस तरह पुरुषों के लिए मुख्य अंग कितनी है उसी तरह महिलाओं के लिए मुख्य अंग लिवर है। अगर उनका लीवर स्वस्थ रहा तो उनको बीमारियां नहीं होंगे। लीवर को मजबूत रखने के लिए आपको गुस्सा को नियंत्रित रखना होगा। ज्यादा गुस्सा करने से लीवर का हिट बढ़ेगा और यह पूरे शरीर में फैल जाएगा। रक्त ज्यादा गर्म होने से शरीर के बाहर लिंक होगा। तो इससे बचने के लिए गुस्सा एकदम ना करें और लीवर को संतुलित करें। लिवर के साथ हृदय का सुरक्षित रहना जरूरी है। यह आनंद से सुरक्षित रहता है। आनंद का अर्थ है कोई ऐसा काम करना जिसमें आपका कोई स्वार्थ नहीं हो फिर भी करने में आपको मजा आए। तो ऐसे काम किया कीजिए जिससे आपको यह आनंद की फीलिंग हो। इसको अनकंडीशनल प्लेजर कह सकते हैं। अगर हृदय अस्वस्थ है तो इसका कारण इस प्लेजर का अभाव है।

तू इस तरह आपने देखा की भावनाएं आपके पूरे शरीर को कंट्रोल करती हैं उन्हें स्वास्थ्य स्वास्थ्य बनाती हैं।भावनाएं बहुत ही जरूरी हैं और इनके बारे में जानना बहुत ही जरूरी है। जिस तरह हमारे भोजन में खट्टा मीठा पिता और सभी तरह के स्वाद और विटामिन मिनरल होने चाहिए उसी तरह से हमारे भावनात्मक इंटेक में भी सभी तरह की भावनाएं होनी चाहिए। भावनाएं किसी भी क्रोनिक बीमारी का मूल कारण है। कोई भी एक्यूट बीमारी का कारण बाहरी हो सकता है पर अंदर के ऑर्गन जिन्हें यीनऑर्गन कहते हैं वह भावनाओं के द्वारा ही कमजोर होते हैं। इस तरह आप सोचकर स्वस्थ रह सकते हैं अपनी सोच को सुधार कर आप अपने शरीर को सुधार सकते हैं।

आज सभी जगह पर चर्चा है कि स्वस्थ व्यक्ति कौन है और स्वास्थ्य के क्या बैरोमीटर हैं तो मानसिक स्वास्थ्य शारीरिक स्वास्थ्य और आध्यात्मिक स्वास्थ्य की चर्चा हो रही है। 2 शब्दों में इस पूरी चर्चा का सार बताना चाहूंगा।

स्वस्थ रहने के लिए यह सभी भावनाएं कंट्रोल में रहे इसके लिए शरीर भी स्वस्थ रहना चाहिए। इसका उल्टा भी है कि भावनाए स्वस्थ होंगी तो शरीर भी स्वस्थ होगा यह दोनों एक दूसरे का पोषण करती हैं। शरीर स्वस्थ होगा तो ऊर्जा मिलेगी और हर काम कर पाएंगे। उत्साह होगा तो काम क्यों करना है इसका कारण स्पष्ट रहेगा।
ऊर्जा और उत्साह ही स्वस्थ व्यक्ति की निशानी है और अपनी सोच के द्वारा हम इसे प्राप्त कर सकते हैं।

इस पोस्ट से जुड़ी किसी भी चर्चा के लिए आपका स्वागत है आप कमेंट कर सकते हैं।
दीपक राज सिंपल
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