Thursday 1 March 2018

होली के कलर vs व्हाइट कॉलर vs ब्लू कॉलर

एक दिल की बात आपसे शेयर करना चाहता हूं। 
होली का त्योहार है। ट्रैन पर पटना से कोडरमा जा रहा हूँ। 11:40 में ट्रेन पर बैठ हूँ। सीट तो मिली नही है क्योंकि भीड़ बहुत है। छोटा भाई को बस का टिकट लेने को कहा था कल पर पता चला कि पटना से हज़ारीबाग जाने वाली बसें बन्द है।  और इसलिए पटना हटिया एक्सप्रेस से कोडरमा जाना पड़ रहा है। सीट के जगह ऊपर के लगेज के जगह पर सोया हूँ।अभी समय है और ये पोस्ट लिख रहा हूँ। देश में संविधान की गड़बड़ियों के कारण देश कंगाल होता जा रहा है। बची खुची उम्मीद को इस देश के गद्दार नेता और अफसर दीमक की तरह चाट रहे हैं। आप क्या कर सकते है और मैं क्या कर सकता हूँ इस पर बहुत दिमाग खपाया है। और एक छोटी सी बात कह रहा हूँ । आशा है आप इसको महत्व देँगे । (नौजवान अगर सही समझे तो अपना नेगेटिव या पॉजिटिव फीडबैक दीजिये)

कोई आदमी सिर्फ 7000 रु में या 10,000 रु में survive कैसे कर सकता है इस महंगे समय में । 
आपको याद है कि एक बार राहुल गांधी ने कहा था कि poverty is a state of mind ........ कितनी गालियां पड़ी थी बेचारे को । सबने दी थी । मैंने भी दी थीं । वो तो चलो गाली महोत्सव था । बेचारे की किस्मत में है ही गाली । सही बात बोले तो भी गाली ही सुनता है ।पर बात राहुल गांधी ने 100 टका सही कही थी ।
Poverty is a state of mind .

 गरीबी एक मानसिक अवस्था है । इसका आपकी जेब और आपके bank statement से कोई सम्बन्ध नहीं होता । इन प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाने वाले ये लोग जो MA, Msc ,B.Ed , M.Ed करके 7000 रु पे पढ़ा रहे है और ये private Engineering colleges में Btech पढ़े के 7000 रु की नौकरी करने वाले ये इंजीनियर ....... आप इनकी समस्या जानते हैं क्या है ?
इन सबको white collar job चाहिए । 
18 साल तक रट्टे मार मार के , दांत किटकिटा के Msc Bed करके , लाखों रु खर्च करके डिग्री लेने के बाद 7000 रुपल्ली की नौकरी करने वाला लड़की / लड़का और engineer बस Sir और Madam सुन के खुश हो जाता है । आजकल भारत देश में super cute Moms n Dads बड़े गर्व से बताते है की हमरा लड़का घुरहू जादो इंजीनियरिंग कालिज से B.tech कर रहा है । 
फिर कुछ साल बाद ये बिलकुल नहीं बताता कि लौंडे की नौकरी लगी या नहीं , या लगी तो पगार कितनी है ।
इसके विपरीत , राधेश्याम मोची रोज़ाना कम से कम 1000 रु की दिहाड़ी बनाता है । 
उसके बगल में एक saloon है । उसमे 2 chairs हैं । उसमे एक लड़का सुनील काम करता है । एक दिन मैंने उस से बाल कटाते हुए पूछा , क्या सिस्टम है तेरा यहाँ । 
बोला कि ये जो दूसरा लौंडा है न , उसका ये saloon है । मैं जो भी काम करता हूँ उसमे 50% मेरा ....... वो बताने लगा कि मेरी दिहाड़ी रोज़ाना average 1000 रु बन जाती है । saloon मालिक की लगभग 1500 रु । उस पूरे सलून की investment होगी बमुश्किल 10 या 20 हज़ार रु । पर समस्या ये है कि ये जूते गाँठना या बाल काटना , ये दोनों blue collar jobs हैं । 
समस्या ये है कि भारत देश में हम अपने white collar job करने वालों को तो sir sir कहते नहीं थकते , चाहे उसकी जेब में एक रु न हो और साला भूखा मर रहा हो । और अपने इन मेहनत कश blue collar job वालों को , जो कायदे से मोटा पैसा कमाते हैं , उन्हें हम लोग हिकारत से देखते हैं । 
बहुत कड़वी सच्चाई है ये कि आज भारत में white collar भूखा मर रहा है और blue collar मज़े से अच्छे पैसे कमा रहा है । पर इसके बावजूद लोग blue collar job करना नहीं चाहते । जानते हैं क्यों ? क्योंकि हम उन्हें Sir कह के नहीं बुलाते । 
130 करोड़ लोगों के इस मुल्क में सबको white collar job नहीं दी जा सकती । 
सिर्फ 5 करोड़ लोग ही white collar पाएंगे ।
बाकी 125 करोड़ को तो Blue collar ही पहनना पडेगा । 
अब समय आ गया है कि हम लोग इन blue collar वालों को भी सम्मान देना शुरू करें । उनको भी sir कह के बुलाना शुरू करें । 
और आखिर क्यों न कहें उन्हें Sir ...... वो भी तो मेहनत ही कर रहा है । कोई चोरी चकारी तो नहीं कर रहा ? वो भी तो राष्ट्र की सेवा ही कर रहा है । वो भी तो GDP बना रहा है देश की । उसके हाथ और उसका collar जो काला हुआ है वो मेहनत करने से हुआ है जनाब । उसके अंदर से जो बू आती है वो पसीने की है जनाब ।
जिस आदमी के हाथों में घट्ठे पड़े हों ....... जिसके हाथ काम करने से काले हों ....... वो जिसके शरीर से मेहनत का पसीना टपकता हो ...... उस से इज़्ज़त से हाथ मिलाइये ।
उसे भी Sir कह के बुलाइये । इन्ही लोगों से भारत है । इन्ही से दुनिया है ।  sir  कहना अंग्रेजो की नकल हो सकता है। पर अगर किसी को कोई बात समझानी हो तो वो उनको उन्ही की भाषा मे समझाना पड़ता है। 

भारत बदल रहा है holi का जश्न मनाये।होली में ऐसे रंग लगाइये की एक सप्ताह तक रंग नही छुटे। 

आपका

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