Monday 12 February 2018

संस्कृत संवाद

पञ्चमी विभक्ति नियम
 दूर व समीपवाची शब्दों में पञ्चमी विभक्ति होती है। इन शब्दों में द्वितीया व तृतीया विभक्ति भी विकल्प से होती है।
  उदाहरण-- मम गृहं ग्रामास्य दूराद्‌ अस्ति। यहां दूर शब्द में पञ्चमी विभक्ति हुई। इसके अतिरिक्त यहां दूरम्‌ या दूरेण प्रयोग भी हो सकते हैं।
   इसी प्रकार--२) अहं जनकस्य समीपात्‌ आगच्छामि( मै-कर्ता,पिता के-समीप-योग षष्ठी, पास से-समीपवाची पञ्चमी,आ रहा हूं-क्रिया)।
                  ३) नगरस्य दूराद्‌ एषः विद्यालयः अस्ति( नगर से-दूर-योग षष्ठी,दूर- दूरवाची पञ्चमी,यह-सर्वनाम,विद्यालय-कर्ता,है-क्रिया)।
                   ४) अहं गुरोः पार्श्वात्‌ वसामि( मैं-कर्ता,गुरु के-समीप-योग षष्ठी,पास में-समीपवाची पञ्चमी,रहता हूं-क्रिया)।
                   ५) क्षेत्रस्य विप्रकृष्टाद्‌ ग्रामः अस्ति( खेत से-दूर-योग षष्ठी, दूर-दूरवाची पञ्चमी,गांव-कर्ता,है-क्रिया)।
                   ६) 'जयपुर' नगरस्य सकाशात्‌ 'अजमेर' नगरम्‌ अस्ति( जयपुर नगर के-समीप-योग षष्ठी,पास में-समीपवाची पञ्चमी,अजमेरनगर-कर्ता,है-क्रिया)।
                   ७) त्वं क्रीडाक्षेत्रस्य दूराद्‌ असि( तुम-कर्ता,खेल के मैदान से-दूर-योग षष्ठी,दूर-दूरवाची पञ्चमी,हो-क्रिया)।
                   ८) अहम्‌ आपणस्य अन्तिकाद्‍ अस्मि(मैं-कर्ता,बाजार के-समीप-योग षष्ठी,पास-समीपवाची पञ्चमी,हूं-क्रिया)।
                  ९) अहम्‌ इतः दूराद्‌ गच्छामि( मैं-कर्ता,यहां से-अव्यय,दूर-दूरवाची पञ्चमी,जाता हूं-क्रिया)।
                  १०) सः मम हृदयस्य निकटाद्‌ अस्ति( वह-कर्ता,मेरे-सम्बन्धबोधक षष्ठी,मन के-समीप-योग षष्ठी, निकट-समीपवाची पञ्चमी,है-क्रिया)।

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