Tuesday 13 February 2018

महाशिव

विख्यात अमरीकी भौतिकशास्त्री फ्रित्ज़ोफ़ काप्रा शिव की चर्चा करते हुए अपनी विश्व प्रसिद्द पुस्तक " The Tao of Physics " के आरम्भ में ही लिखते हैं :
"एक दोपहर, मैं समुद्र के किनारे उसकी लहरों को देखता हुआ और अपनी साँसों की लय को महसूस करता हुआ बैठा हुआ था कि तभी मुझे अचानक ऐसा महसूस हुआ कि मेरे चारों तरफ का वातावरण मानो किसी ब्रम्हांडीय नृत्य (कॉस्मिक डांस) में व्यस्त हो l एक भौतिकविद होने के नाते, मैं जानता था कि ये बालू, पत्थर, जल, और चारो तरफ की वायु – ये सब गतिमान अणु-परमाणु से बने हुए है और ये भी की ये सब उन कणों से रचित हैं जो दूसरे कणों का निर्माण और और विध्वंस करते रहते हैं l मैं ये भी जानता था कि धरती का वायुमंडल उच्च ऊर्जा वाले कणों के ब्रम्हांडीय किरणों (कोस्मिक रेज़) से लगातार आघातित होता रहता है l ये सब मैं उच्च ऊर्जा –भौतिकी में अपने शोध के कारण जानता था , लेकिन अब तक मैंने इनका अनुभव केवल 'ग्राफों' और गणितीय सिद्धांतों के माध्यम से किया था l (लेकिन उस दिन), मेरे ये सारे अनुभव मानो जीवंत हो उठे और जैसे मैंने ब्रम्हांड से ऊर्जा को नीचे आते हुए देखा जिसमें कण एक लय में निर्मित और ध्वस्त हो रहे थे; मैंने मेरे शरीर व अन्य वस्तुओं के कण को ऊर्जा के इस ब्रम्हांडीय नृत्य (कॉस्मिक डांस) में मानो शामिल होते देखा, इनके लय को महसूस किया, और इनकी ध्वनि को सुना; और उसी क्षण मैं ये समझ गया कि यही शिव का नृत्य था, शिव यानि हिन्दुओं के पूज्य ईश्वर नटराज  जिनके नृत्य के अपने इस अनुभव को मैंने अपनी इस पुस्तक में 'फोतोमोंटेज' के रूप में भी प्रस्तुत करने का प्रयत्न किया है l ऐसे कई अनुभवों ने मुझे यह समझने में मदद की कि विश्व का एक सम्पूर्ण खाका अब आधुनिक विज्ञान, जो प्राचीन पूर्वी ज्ञान के समन्वय में है, की मदद से उभरने लगा है !"
प्रख्यात भौतिकविद फ्रित्जोफ़ काप्रा के इन्हीं शब्दों के साथ आप सबको महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें !

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