दही के नियमित सेवन से आंतों के रोग और पेट की बीमारियां नहीं होती, तथा कई प्रकार के विटामिन बनने लगते हैं। दही में जो बैक्टीरिया होते हैं, वे लेक्टेज बैक्टीरिया उत्पन्न करते हैं।
यदि आपको मोटापा है तो मोटापा कम करने के लिए दही एक प्रभावशाली उपाय है।
दही में हृदय रोग, हाई ब्लड प्रेशर और गुर्दों की बीमारियों को रोकने की अद्भुत क्षमता होती है। यह हमारे रक्त में बनने वाले कोलेस्ट्रोल नामक घातक पदार्थ को बढ़ने से रोकता है, जिससे वह नसों में जमकर ब्लड सर्कुलेशन को प्रभावित न कर पाता और हार्टबीट सही बनी रहती है।
दही में कैल्शियम की मात्रा अधिक पाई जाती है, जो हमारे शरीर में हड्डियों का विकास करती है और उन्हें मजबूती प्रदान करती है। दांतों एवं नाखूनों की मजबूती एवं मांसपेशियों के सही ढंग से काम करने में भी दही सहायक होती है।
यदि पेट में गड़बड़ हो, पतले दस्त हों तो दही के साथ ईसबगोल की भूसी लेने से आराम मिलता है। दही के साथ चावल खाना भी लाभप्रद होता है।
बवासीर के रोगियों को चाहिए कि दोपहर में भोजन के बाद एक गिलास छाछ में अजवायन डालकर पीएं।
पेट के रोगियों को चाहिए कि ज्वार की रोटी के साथ दही लें। दही का सेवन भुने हुए जीरे व सेंधा नमक के साथ करें।
दही में शहद मिलाकर चटाने से छोटे बच्चों के दांत आसानी से निकलते हैं।
मुंह के छालों में दही कम करने के लिए दिन में कई बार दही की मलाई लगाएं। इसके अलावा शहद व दही की समान मात्रा मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से मुंह के छाले भी दूर हो जाते हैं।
गर्मी के मौसम में दही की छाछ या लस्सी बनाकर पीने से पेट की गर्मी शांत हो जाती है। इसे पीकर बाहर निकलें तो लू लगने का डर भी नहीं रहता है।
दुबले व्यक्तियों को चाहिए कि दही में किशमिश, बादाम, छुहारा आदि मिलाकर पीएं। इससे वजन बढ़ता है।
दही में नींबू का रस मिलाकर चेहरे, गर्दन, कोहनी, एड़ी, हाथों पर लगाएं। कुछ देर बाद कुनकुने पानी से धो डालें।
अगर गर्दन के पिछले भाग में कालापन जमा हो गया है नहाते समय गर्दन पर खट्टी दही से मालिश करें और धो लें। एक-दो सप्ताह के नियमित प्रयोग से कालापन कम हो जायेगा।
बालों को सुंदर, स्वस्थ व नीरोग रखने के लिए बालों को धोने के लिए दही या छाछ का प्रयोग करना चाहिए क्योंकि दही में वे सब तत्व मौजूद रहते हैं, जिनकी बालों को आवश्यकता रहती है। स्नान से पूर्व दही को बालों में डालकर अच्छी तरह मालिश करें ताकि बालों की जड़ों तक दही पहुंच जाए। कुछ समय बाद बालों को धो दें। दही के प्रयोग से खुश्की, रूसी (ईखर) व फियास समाप्त हो जाती है।
दही को जीरे व हींग का छौंक लगाकर खाने से जोड़ों के दर्द में लाभ पहुंचता है। यह स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है।
गर्मी के दिनों में पसीना काफी निकलता है। पसीने की बदबू दूर करने के लिए दही और बेसन मिलाकर शरीर पर मालिश करें तथा कुछ देर बाद स्नान करें, इससे पसीने की बदबू दूर हो जाती है।
वे लोग जो नींद न आने से परेशान रहते हैं उन्हें दही व छाछ का नियमित सेवन करना चाहिए।
दही का सेवन कुछ आयुर्वेदिक औषधियों में सहपान के साथ कराने का भी विधान है, जिससे दवा का प्रभाव बढ़ जाता है।
दही का प्रयोग करते समय बरतें कुछ सावधानियां
दही हमेशा ताजी ही प्रयोग करनी चाहिए।
रात्रि में दही का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए।
मांसाहार के साथ दही के सेवन को शास्त्रों में निषिद्ध माना गया है।
दही दस्त या अतिसार के रोगियों में मल को बांधने वाली होती है, पर सामान्य अवस्था में कब्ज कर सकती है।
मधुमेह से पीड़ित रोगियों में दही का सेवन थोड़ा सोच-समझकर करना चाहिए।
जब खांसी, ज़ुकाम, टांसिल्स या सांस की तकलीफ हो तब दही का सेवन न करें तो अच्छा रहता है।
दही सदैव ताज़ी एवं शुद्ध एवं घर में किसी मिटटी के बर्तन क़ी बनी हो तो अत्यंत गुणकारी होती है।
त्वचा सम्बन्धी रोगों में दही का सेवन सावधानी पूर्वक करना चाहिए।
मात्रा से अधिक दही के सेवन से बचना चाहिए
Hr. deepak raj mirdha
yog teacher , Acupressure therapist and blogger
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