अधिकरण कारक
क्रिया का आधार अर्थात् जहां पर या जिसमें वह क्रिया की जाती है उसकी अधिकरण संज्ञा होती है व अधिकरण कारक में सप्तमी विभक्ति होती है।
उदाहरण-- बालकाः विद्यालये पठन्ति।यहां बालक पढने की क्रिया विद्यालय में कर रहे हैं अतः उसकी अधिकरण संज्ञा होकर सप्तमी विभक्ति हुई।
इसी प्रकार--२) अध्यापकः पाठशालायाम् अस्ति( अध्यापक-कर्ता,पाठशाला में-अधिकरण,है-क्रिया)
३) अहं गृहे कार्यं करोमि( मैं-कर्ता,घर में-अधिकरण,कार्य को-कर्म,करता हूं-क्रिया)
४) कृषकः हलेन क्षेत्रे कार्यं करोति( किसान-कर्ता,हल के द्वारा-करण,खेत में-अधिकरण,कार्य को-कर्म,करता है-क्रिया)
५) पक्षिणः आकाशे उड्डयन्ते( पक्षी-कर्ता,आकाश में-अधिकरण,उडते हैं-क्रिया)
६) माता पात्रे भोजनं पक्ष्यति( माता-कर्ता,बर्तन में-अधिकरण,भोजन को-कर्म,पकाएगी-क्रिया)
७) पण्डितः यज्ञशालायां यज्ञं करिष्यति( पण्डित-कर्ता,यज्ञशाला में-अधिकरण,यज्ञ को-कर्म,करेगा-क्रिया)
८) त्वम् उद्याने भ्रमणं करिष्यसि( तू-कर्ता,बगीचे में-अधिकरण,भ्रमण को-कर्म,करेगा-क्रिया)
९) मम संस्कृते रुचिः भविष्यति( मेरी-सम्बन्धबोधक षष्ठी विभक्ति,संस्कृत में-अधिकरण,रुचि-कर्ता,होगी-क्रिया)
१०) विद्यार्थी खट्वायां शयिष्यते( विद्यार्थी-कर्ता,खाट पर-अधिकरण,सोवेगा-क्रिया)
Hr. deepak raj mirdha
yog teacher , Acupressure therapist and blogger
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