आप अपने मोबाइल पर SMS , फेसबुक पर विज्ञापन देखते होंगें । जिसमे आपको बताया जा रहा है कि अब आपके शहर में या एग्जीक्यूटिव हेल्थ चेक-अप 65% को डिस्काउन्ट के साथ यानि कि 4800 रु. का पूरे शरीर का मेडिकल टेस्ट सिर्फ 1700 रु. में करवायें , यह ऑफर सीमित समय के लिए है । लेकिन आपने इस ऑफर पर कोई समय सीमा नहीं देखी होगी ।
आजकल बड़े-बड़े हॉस्पिटल व उसमें नियुक्त मेडिकल रिप्रेंजेटिव अक्सर ऐसे विज्ञापनो व कंपनियों में फ्री चेकअप करके अपना इंसेंटिव फिक्स कर रहे होते हैं । आजकल बहुत सारे अस्पतालों में निशुल्क चिकित्सकीय परामर्श कैम्प का आयोजिटी कर जाँच व दवाई के नाम पर बहुत सारी छूट दी जाती है ।
वास्तव में यह विज्ञापन अस्पतालों का अपने ग्राहक खोजने और बनाने का तरीका है । एक बार जो भी इनके जाल में फंस जाता है, वह कई - कई बार अपना स्वास्थ्य और रुपया दोनों गंवाता है, और कुछ प्रकरणों में तो जिन्दगी भर परेशान भी रहता है ।
कुछ समय पूर्व एक समाचार पत्र में छपी एक छोटी सी न्यूज के अनुसार ब्रिटेन की ऑक्सफ़ोर्ड और साउथपैटन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अपने एक साल तक चले सर्वे में 783 डॉक्टरों से किये गये ऑनलाइन प्रश्न और उनके उत्तरों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है कि –
1. 97% डॉक्टर मरीजों को बेकार की दवाइयाँ देते हैं और गैर जरूरी जाँच करवाने को कहते हैं ।
2. 88% डॉक्टरों के द्वारा ऐसी दवाइयाँ लिख दी जाती हैं जिनमे इलाज करने के कोई सक्रिय तत्व नहीं रहते हैं ।
3. 84% डॉक्टरों ने यह भी माना कि वह शुद्ध और प्रामाणिक इलाज के नाम पर ग्लूकोज का घोल या दवाई और सलाइन चढ़ाते है ।
4. 84% डॉक्टरों ने यह भी माना कि वे मरीजों को गैरजरूरी खून की जाँच, एक्सरे तथा अन्य शारीरिक जाँच के लिए भेजते हैं ।
हमारे देश के अधिकांश डॉक्टर पेमेंट बेसिस पर 20 से 30 लाख रूपये में MBBS की डिग्री लेते हैं, और पोस्ट-ग्रेजुएट करने में उन्हें 8-9 वर्ष और लगभग एक - दो करोड़ रूपये लगते हैं , अगर वह यह राशि बैंक से ब्याज पर ले, तो पोस्ट-ग्रेजुएट करने तक का कुल खर्च मय ब्याज के कम से कम दो से तीन करोड़ भरने पड़ेंगे ।
इस तरह पैसे खर्च करके विशेषज्ञ डॉक्टर बनने वाले हर नवयुवक को अपनी लगाई गयी पूँजी पर बैंक का ब्याज के रूप में प्रति मास कम से कम ढाई लाख चुकाना पड़ेगा और मूल पूँजी अलग से इस तरह डॉक्टर पांच लाख रूपये का बैंक का कर्ज चुकायेगा , फिर वह अपने घर खर्च के लिए भी कम से कम कुछ राशि तो निकलेगा ही , इस तरह डॉक्टरी के बिजनेस में अधिकांश डॉक्टरों के लिए कम से कम छः लाख प्रति माह कमाना जरुरी है । तब कही जाकर 8 से 10 सालों में उनके द्वारा लिए गए लोन का वे चुकारा कर सकेंगे ।।
इस तरह से हमारे देश के डॉक्टर किसी भी मामले में ब्रिटेन से पीछे नहीं हैं , उन्होंने लोगों की दुःख-बीमारी में उनके शोषण के नए-नए तरीके ईजाद कर लिए हैं ।
उपरोक्त विवरण में अगर डॉक्टरों का लालच और जुड़ जाता है तो यह रकम प्रतिदिन 50 हजार रूपये से एक लाख तक हो जाती है ।
इस बड़ी रकम के लिए हमारे देश के डॉक्टर्स मरीजों और उनके परिवार का भरपूर शोषण करने के लिये नये नये तरीके निकालते हैं । जैसे -
1. बड़े-बड़े अस्पतालों में निशुल्क चिकित्सकीय परामर्श कैम्प द्वारा मरीजों को गैर जरूरी जाँच, एक्सरे तथा अन्य शारीरिक जाँच ।
2. छोटी बिमारियों को भी बढ़ा-चढ़ा कर हजारो रूपये वसूलना । तथा कई तरह की काल्पनिक बीमारियां बताकर रोगियों को डराना व शोषण करना ।
3. एक बीमारी का इलाज के साथ अन्य बीमारी के स्पेशलिस्ट के पास भेजकर मरीज का खर्च बढ़ाना ।
4. बिना बीमारी के दवा देना तथा बिना जरुरत के ऑपरेशन करना ।
5. सस्ती जेनेरिक दवाईयों की जगह महँगी दवाइयां लिखना ।
6. विदेशी कम्पनियों की बनाई नई दवाइयों का ड्रग नए मरीजो पर ट्रायल करना और लाखों-करोड़ों रुपयों का कमीशन अपने विदेशी बैंकों में जमा करवाना ।
आप समझ ही सकते हैं जितना बड़ा अस्पताल उतना अधिक शोषण । किसी 4000 sq.ft. के नर्सिंग होम और 40000 sqft के मल्टी स्पेशिलिटी हॉस्पिटल को चलने में फर्क होता है । एक
नर्सिंग होम का महीने भर का खर्च किसी भी मल्टी स्पेशिलिटी हॉस्पिटल के एक एक दिन के खर्च से भी कम होता है ।
अतः इन अस्पतालों में पेशेंट आये या नहीं, लेकिन हर डॉक्टर को मासिक वसूली का 25 से 50 लाख या इससे अधिक का टारगेट दिया जाता है ।
इतना ही यह डॉक्टर इस टारगेट को पूरा करने के लिए ..
1. दवा कम्पनी से मोटा कमिशन लेकर उनकी महंगी दवा मरीजो को देता है ।
2. बिना जरुरत के कई तरह की महंगी जांच करवा कर लैब से अपना कमीशन पूरा करता है ।
3. छोटे कस्बो और शहरो के डॉक्टरों व दलालों को कमीशन देकर मरीजो को अपने मल्टी स्पेशिलिटी हॉस्पिटल में बुलवाना ।
4. बिना जरूरत कई तरह के ऑपरेशन या एंजियोप्लास्टी करवाना ।
5. मरीज के परिवार वालो को मरीज की गलत रिपोर्ट बताकर डराना और उनका शोषण करना ।।
आदि, आदि ।
अतः आप से निवेदन है कि अपने परिवार के कल्याण के लिए इन झूठे विज्ञापनों से दूर रहें , अन्यथा आप इनके जाल में फँसकर और भी वीमार बन जायेंगे ।।
Hr. deepak raj mirdha
yog teacher , Acupressure therapist and blogger
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